आज सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के मामले में फैसला होना होना है। जबकि इसी बीच एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी दी है कि शरद पवार के 41 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी है। असल में पूरा मामला अजित पवार के संसदीय दल के नेता के होने के कारण है। क्योंकि अजित पवार ने राज्यपाल को जो पत्र सौंपा है वह संसदीय दल के नेता के तौर पर ही सौंपा है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में टूट के कगार पर पहुंच चुकी शरद पवार की पार्टी एनसीपी मुश्किल में है। शरद पवार के 41 विधायकों का समर्थन है जबकि पार्टी के राज्य में 54 विधायक है। अब ये सवाल उठता है कि ये 13 विधायकों ने बगावत कर अपना अलग गुट बना लिया है या फिर ये कहां हैं। हालांकि अभी तक अजित पवार की तरफ से कोई दावा नहीं किया गया है।
हालांकि आज सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के मामले में फैसला होना होना है। जबकि इसी बीच एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी दी है कि शरद पवार के 41 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी है। असल में पूरा मामला अजित पवार के संसदीय दल के नेता के होने के कारण है। क्योंकि अजित पवार ने राज्यपाल को जो पत्र सौंपा है वह संसदीय दल के नेता के तौर पर ही सौंपा है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट उनके इस पद को खारिज करती है या फिर नहीं। इस ये अहम होगा।
सिंघवी ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि शरद पवार के पास उनकी पार्टी के 41 विधायकों के समर्थन के हस्ताक्षर हैं। हालांकि राज्य में एनसीपी के सिंबल पर 54 विधायकों ने जीत दर्ज की है। वहीं सिंघवी ने बाकी के बचे 13 विधायकों की जानकारी अदालत को नहीं दी है। वहीं भाजपा को उम्मीद है कि अगर अगर अजित पवार के साथ 13 विधायक भी आज जाते हैं तो वह राज्य में निर्दलीय और छोटे दलों के साथ सरकार बना सकती है।
क्योंकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और अगर उसे निर्दलीय व छोटे दलों के 29 विधायकों का समर्थन मिलता है तो बहुमत के लिए उसे महज 11 विधायकों की जरूरत होगी। गौरतलब है कि अजीत पवार को अभी एनसीसी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया है। वह महज संसदीय दल के नेता के पद से हटाए गए हैं। जबकि अजीत पवार ने शरद पवार से बगावत कर राज्य में भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया है और उन्होंने उपमुख्यमंत्री के पद की शपथ ली है।