महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि दीदी के राज्य में भी है आज भाजपा की असल परीक्षा

By Team MyNationFirst Published Nov 25, 2019, 9:35 AM IST
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लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में पहली बार टीएमसी और भाजपा आमने सामने होंगे। ये चुनाव राज्य में काफी अहम माने जा रहे हैं। क्योंकि राज्य में स्थानीय स्तर पर दोनों की पकड़ का अंदाजा भी इसी चुनाव के परिणाम से लगाए जाएंगे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर टीएमसी को बड़ा झटका दिया था। जिसके बाद राज्य में चुनावी हिंसा भी हुई थी। जिसमें कई भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव हो रहा है। जिसमें भाजपा और राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। ये उपचुनाव अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं। हालांकि दोनों ही दल इन सीटों को जीतने के दावे कर रहे हैं। इन सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस से वामदलों के साथ गठबंधन किया है।

लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में पहली बार टीएमसी और भाजपा आमने सामने होंगे। ये चुनाव राज्य में काफी अहम माने जा रहे हैं। क्योंकि राज्य में स्थानीय स्तर पर दोनों की पकड़ का अंदाजा भी इसी चुनाव के परिणाम से लगाए जाएंगे। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर टीएमसी को बड़ा झटका दिया था। जिसके बाद राज्य में चुनावी हिंसा भी हुई थी। जिसमें कई भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी। जिसके बाद भाजपा ने राज्य सरकार को घेरा था और मारे गए कार्यकर्ताओं का श्राद भी किया था।

आज होने वाले उपचुनाव खासकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसे टक्कर देने वाली भाजपा के लिए बड़ी चुतौती है। इस चुनाव के जरिए जहां टीएमसी के पास अपने राजनैतिक वजूद को बचाने की परीक्षा है वहीं भाजपा इन सीटों के जरिए अपनी मजबूत स्थिति का एहसास करा सकती है। हालांकि इन तीनों सीटों में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस का कब्जा रहा है। आज जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें पश्चिम मेदिनीपुर जिले की खड़गपुर, नदिया जिले की करीमपुर और उत्तर दिनाजपुर की कालियागंज सीटें शामिल हैं।

कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन से तो खड़गपुर सीट प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के लोकसभा चुनाव जीतने और करीमपुर सीट टीएमसी सांसद महुआ मित्रा के कृष्णनगर संसदीय सीट से जीतने के बाद खाली हुई है। हालांकि राज्य में टीएमसी पर इन तीनों सीटों जीतने का दबाव है। हालांकि राज्य में कांग्रेस और वाम दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि टीएमसी ने विपक्षी दलों को मिलकर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी।

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