90 साल की छात्राएं, 7 साल की टीचर

By Team MyNation  |  First Published Sep 8, 2019, 10:12 PM IST

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुजुर्गों को शिक्षा दिलाने के लिए अनोखी पहल की गई। यहां अक्षर स्कूल की शुरुआत हुई। जिसमें 50 वर्ष के ऊपर के विद्यार्थी पढ़ाई करेंगे। खास बात यह है कि उन्हें पढ़ाने का दायित्व बच्चों को दिया गया है। यह स्कूल विशाल भारत संस्थान ने शुरु कराया है। 
 

वाराणसी। महान उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के गांव लमही में 88 वर्षीय बिटुना और 60 वर्षीय नगीना खातून जैसी कई बुजुर्ग महिलायें रविवार को पहली बार शुरू हुई अक्षर पाठशाला में दाखिल हुई। जिनका अक्षर से कभी पाला नहीं पड़ा। दुनियां के पटल पर साहित्य के लिये जाना जाने वाला लमही गांव अभी भी निरक्षरता से जूझ रहा है, लेकिन अब अक्षर स्कूल बिटुना दादी और नगीना खातून को न सिर्फ साक्षर बनायेगा, बल्कि मोबाइल और इन्टरनेट चलाना भी सिखायेंगा और यह सब कोई पेशेवर लोग नहीं करेंगे, बल्कि विशाल भारत संस्थान के 5 से 13 वर्ष के बच्चे कर दिखायेंगे। बिना सरकारी मदद के लमही गांव को सम्पूर्ण साक्षर बनाने का संकल्प विशाल भारत संस्थान के बच्चों ने लिया है।

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित अक्षर स्कूल का उद्घाटन सुभाष भवन, इन्द्रेश नगर, लमही में हुआ।

अक्षर स्कूल का संचालन विशाल भारत संस्थान के 5 वर्ष से 13 वर्ष के बच्चे करेंगे। 13 वर्षीय शालिनी भारतवंशी अक्षर स्कूल की प्रधानाध्यापिका एवं 7 वर्षीय दक्षिता भारतवंशी उप प्रधानाध्यापिका नियुक्त की गयीं।

अब प्रतिदिन सुभाष भवन में निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए कक्षा चलायी जायेगी। जो बुजुर्ग महिलायें चलने-फिरने में अक्षम हैं, बच्चे उनके घर जाकर साक्षर बनायेंगे। बिना सरकारी मदद के चलने वाला अक्षर स्कूल 15 दिन का क्रैश कोर्स चलाकर दादा-दादी को पढ़ाना और हस्ताक्षर करना सिखा देगा।

जब अक्षर ज्ञान हो जायेगा तो बुजुर्ग महिलाओं को मोबाइल चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। बुजुर्ग महिलाओं-पुरूषों को साक्षर बनाकर पूरे लमही गांव को सम्पूर्ण बना दिया जायेगा।

विशाल भारत संस्थान एवं अक्षर स्कूल के संस्थापक डा0 राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ‘जल्द ही लमही गांव के प्रत्येक सदस्य को निरक्षता के कलंक से मुक्त करायेंगे। कुछ ही दिन में यह बनारस का पहला गांव होगा, जो सम्पूर्ण साक्षर होगा। पढ़ने में बुजुर्गों का मन लगे इसके लिये पूरी व्यवस्था की जा रही है। प्रतिदिन होमवर्क दिया जायेगा। बच्चों के द्वारा पढ़ाये जाने से उनको संकोच भी नहीं होगा। हर घर साक्षर बनेगा तभी विशाल भारत संस्थान का संकल्प पूरा होगा।’

अक्षर स्कूल की प्रधानाध्यापिका शालिनी भारतवंशी ने कहा कि ‘अक्षर स्कूल में 15 बच्चे प्रतिदिन पढ़ायेंगे। अक्षर स्कूल में पहले दिन 21 बुजुर्ग महिलाओं ने प्रवेष किया है। अक्षर स्कूल में पढ़ने वाली किसी भी बुजुर्ग विद्यार्थी को कॉपी-कलम मुफ्त में दिया जायेगा। गरीब विद्यार्थियों के लिये अनाज बैंक अनाज भी उपलब्ध करायेगा।’

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