आधार पर देश की आला अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। 2016 के आधार कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने आधार के संवैधानिक मान्यता को बरकरार रखा है।
नई दिल्ली— आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि आधार देश में आम आदमी का पहचान बन गया है। सुबह 11 बजे जस्टिस सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ना शुरू किया था।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार से समाज के बड़े वर्ग को ताकत मिली है। आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। आधार से समाज के गरीब तबके को ताकत और सहारा मिला है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि आधार पूरी तरह सुरक्षित है और इसका डुप्लीकेट बनाने का विकल्प नहीं है।
डाटा प्रोटेक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसपर केंद्र और कड़ा कानून बनाए। साथ ही यह बात भी कही कि आधार में डाटा की सुरक्षा की र्प्याप्त व्यवस्था है. डाटा सुरक्षा के लिए UIDAI ने पुख्ता इंतजाम किए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि आधार किन मामलों में जरूरी होगा और किन मामलों में नहीं होगा।
बता दें कि आधार पर सुनवाई की शुरूआत 2012 में हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आधार पर इस मामले को सुना था।
बता दें कि कोर्ट ने आधार की अनिवार्यता के मामले में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी कर 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आधार की अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया है।