महिला वित्तमंत्री 49 साल के बाद पेश कर रही हैं देश का बजट, बड़ी चुनौतियों के साथ बेहतर भविष्य की उम्मीद

By Team MyNation  |  First Published Jul 5, 2019, 9:16 AM IST

 देश के इतिहास में 49 साल बाद आज महिला वित्तमंत्री सदन में बजट पेश कर रही हैं। मोदी सरकार के इस बजट में वित्तमंत्री के सामने कई तरह चुनौतियां हैं। खासतौर से विकासदर को आठ फीसदी ले जाना और बेरोजगारी के खत्म करना। साथ ही मंहगाई पर काबू पाना भी मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल है। 

केन्द्र की मोदी सरकार आज अपने नये कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी। देश के इतिहास में 49 साल बाद आज महिला वित्तमंत्री सदन में बजट पेश करेगी। मोदी सरकार के इस बजट में वित्तमंत्री के सामने कई तरह चुनौतियां हैं। खासतौर से विकासदर को आठ फीसदी ले जाना और बेरोजगारी के खत्म करना। साथ ही मंहगाई पर काबू पाना भी मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल है। आज कैबिनेट से बजट को मंजूरी मिलने के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। 

कल सदन में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण से एक बात साफ गयी थी कि सरकार देश की विकासदर को बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। क्योंकि विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए देश को आठ फीसदी की विकासदर चाहिए। फिलहाल मोदी सरकार के आज बजट पर लोगों को बड़ी उम्मीद लगी है।

आम आदमी से लेकर कार्पोरेट जगत सरकार की तरफ रियायतों के लिए देख रहा है। आज देश में फिर 49 साल बाद इतिहास दोहराया जाएगा। क्योंकि एक महिला वित्तमंत्री इसने लंबे अंतराल के बाद बजट पेश करेगी। इससे पहले, 28 फरवरी 1970 को इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था हालांकि उस इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के साथ ही वित्तमंत्री भी थी।

जबकि निर्मला पूर्णकालिक वित्तमंत्री के तौर पर बजट पेश करेंगी। हालांकि रक्षा मंत्री रहते हुए निर्मला सीतारमण ने अहम कार्यों को अंजाम दिया। लेकिन अब जनता की निगाह वित्तमंत्री के तौर पर लगी है। मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स की सीमा बढ़ा दी थी। उस वक्त मोदी सरकार ने 5 लाख तक की आय को कर मुक्त कर दिया था।

जबकि उससे पहले ये 2.50 लाख रुपये थी। फिलहाल बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक विकास के साथ ही मूलभूत क्षेत्रों को गति देना है। ऐसा कहा जा रहा है कि आज बजट में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों के लिए 40 प्रतिशत का एक नया टैक्स स्लेब लाया जा सकता है। वहीं आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये नियमों को उदार बनाया जा सकता है। 
 

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