आखिर प्रियंका गांधी की सक्रियता से क्यों डरे हैं अखिलेश और माया

By Team MyNation  |  First Published Jan 5, 2020, 8:06 AM IST

प्रियंका गांधी की लगातार उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो रही हैं। जो राज्य की सत्ताधारी भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी  और बहुजन समाज पार्टी को खटक रही है। क्योंकि राज्य में अभी कांग्रेस कमजोर स्थिति में है और कांग्रेस के मजबूत होने इन दोनों दलों की ही सीधेतौर पर नुकसान होगा। हालांकि अभी पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का कोई भी दांव नहीं चला। जबकि प्रियंका गांधी ने राज्य में कई रैलियां की है और जनता को लुभाने के लिए प्रियंका मंदिर से लेकर मजार तक में गई।

लखनऊ। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रिंयका गांधी वाड्रा की उत्तर प्रदेश में सक्रियता को लेकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी परेशान दिख रही हैं। इन दोनों दलों को लग रहा है कि प्रियंका की सक्रियता से उनका वोटबैंक खिसक सकता है। क्योंकि प्रियंका की सक्रियता से दोनों दलों के मुस्लिम वोट के कांग्रेस  की तरफ जाने की संभावना जताई जा रही हैं। 

प्रियंका गांधी की लगातार उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो रही हैं। जो राज्य की सत्ताधारी भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी  और बहुजन समाज पार्टी को खटक रही है। क्योंकि राज्य में अभी कांग्रेस कमजोर स्थिति में है और कांग्रेस के मजबूत होने इन दोनों दलों की ही सीधेतौर पर नुकसान होगा। हालांकि अभी पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का कोई भी दांव नहीं चला। जबकि प्रियंका गांधी ने राज्य में कई रैलियां की है और जनता को लुभाने के लिए प्रियंका मंदिर से लेकर मजार तक में गई।

लेकिन कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट अमेठी को भी बचाने में विफल रही। जबकि रायबरेली और अमेठी का चुनाव प्रचार का जिम्मा प्रियंका गांधी ही संभाल रही थी। वहीं 2014 क लोकसभा चुनाव में सिफर में सिमट जाने वाली बहुजन समाज पार्टी ने दस सीट जीतकर सबकों चौंका दिया था। हालांकि बसपा ने सपा के साथ चुनाव गठबंधन किया था। लेकिन इस चुनाव में सपा महज पांच सीट ही जीत सकी। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मायावती ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया। जिसे सपा के लिए बड़ा झटका माना गया था। हालांकि राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा ने तीन सीटें जीती जबकि बसपा एक भी सीट नही जीत सकी।

हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। पिछले हफ्ते ही प्रियंका गांधी ने लखनऊ में नागरिकता  कानून के विरोध में जताकर मीडिया की सुर्खियां बटोरी। जबकि इससे पहले प्रियंका गांधी ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की। हालांकि इसके बाद सपा भी सक्रिय हुई। लेकिन इस मामले में सपा और बसपा पीछे रह गई। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि प्रियंका ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हो।

पिछले साल जुलाई में सोनभद्र में जमीन के विवाद को लेकर हुए सामूहिक नरसंहार के बाद प्रियंका गांधी सक्रिय हुई और वह सोनभद्र जाने की तैयारी में थी। लेकिन उन्हें मिर्जापुर में ही पुलिस ने रोक लिया। हालांकि इस मुद्दे पर भी प्रियंका ने जमकर वाही वाही बटोरी। वहीं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के साथ मुलाकात के बाद ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस भीम आर्मी के साथ प्रदेश में नया गठजोड़ बनने जा रहा है।
फिलहाल राज्य में प्रियंका की सक्रियता को लेकर सपा और बसपा डरे हुए हैं। क्योंकि इन दोनों दलों को लग रहा है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस अपने पैरों में खड़ी हो गई तो 2022 में इन दोनों दलों को सत्ताधारी भाजपा के साथ ही कांग्रेस से भी लड़ाई लड़नी होगी होगी। खासतौर से अगर कांग्रेस ने मुस्लिम वोट में सेंध लगाई तो इसका सीधा नुकसान इन दोनों दलों को होगा।

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