माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा की सत्ता जाने के बाद राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी आक्रामक राजनीति से दूर दिखाई दे रही हैं। जिसके कारण राज्य की कांग्रेस सरकार कंफर्ट जोन में दिखाई दे रही हैं।
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ विपक्ष में वो आक्रामकता नहीं दिख रही है। जो अकसर विपक्ष में रहते हुए भाजपा के नेताओं में देखी जाती रही है। माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा की सत्ता जाने के बाद राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी आक्रामक राजनीति से दूर दिखाई दे रही हैं। जिसके कारण राज्य की कांग्रेस सरकार कंफर्ट जोन में दिखाई दे रही हैं।
असल में पिछले दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में वसुंधरा राजे पूरी तरह से निष्क्रिय रहीं जबकि कोरोना संकटकाल के दौरान भी वह राज्य में नहीं दिखाई दी। माना जा रहा है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के काफी दूर होने के कारण पूर्व सीएम जनता के बीच से दूर हैं और राज्य सरकार के खिलाफ आक्रामक नहीं हो पा रही हैं। हालांकि राजे ट्विटर और सोशल मीडिया प्लेटफार्म में एक्टिव जरूर हैं, लेकिन उनके ज्यादातर ट्वीट में बधाई, शुभकामनाएं, श्रद्धांजलि तक ही होते हैं। वहीं राज्य सरकार के खिलाफ राजे उतनी आक्रामक नहीं हो रही हैं। जिसके लिए वह जानी जाती थी। फिलहाल वसुंधरा सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने के बजाय सरकार के खिलाफ पार्टी द्वारा किए जाने वाले ट्वीट को ही रिट्वीट करती रहती हैं।
माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा के पक्ष में सियासी समीकरण उनके पक्ष में नहीं हैं। जिसके कारण राजे ज्यादा सक्रिय नहीं हो रही हैं। हालांकि राजे की राज्य की सियासत पर पकड़ को देखते हुए भाजपा राज्य में ऑपरेशन लोटस चाहती है। लेकिन इसके लिए राजे की शर्त है कि उन्हें सीएम का पद दिया जाए। लेकिन पार्टी वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद देना नहीं चाहती है और किसी अन्य नेता पर दांव खेलना चाहती है। वहीं राजे को लग रहा है कि राज्य में उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं है।
लिहाजा वह इस पद के लिए दावा कर रही हैं। वहीं राज्य में हुए राज्यसभा चुनाव में भी राजे सक्रिय नहीं दिखी। हालांकि भाजपा के ही नेता कह रहे हैं राज्य में राजे और गहलोत सरकार के बीच में अच्छी अंडरस्टेंडिंग है। लिहाजा वह आक्रामक नहीं हो रही हैं। राज्य सरकार ने अभी तक राजे का सरकारी बंगला खाली नहीं कराया है। जबकि नियमों के मुताबिक राज्य सरकार को राजे का सरकारी बंगला खाली कराना था।