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आखिर क्यों ममता के आदेश को दरकिनार कर रही हैं टीएमसी सांसद नुसरत जहां

Published : Nov 26, 2019, 09:40 PM IST
आखिर क्यों ममता के आदेश को दरकिनार कर रही हैं टीएमसी सांसद नुसरत जहां

सार

नुसरत जहां ने आज संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित संविधान दिवस  के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जबकि पूरे विपक्ष ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था। जिसके लिए अपने सांसदों पर इस कार्यक्रम में जाने से रोक लगाई थी। लेकिन इसके बावजूद नुसरत जहां ने इस कार्यक्रमम में हिस्सा लिया। जिसके कारण टीएमसी की निंदा हो रही है।

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की बशीरहाट से लोकसभा सांसद नुसरत  जहां ने एक बार पार्टी अध्यक्ष और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झटका दिया है। नुसरत ने एक बार फिर ममता बनर्जी के आदेश को दरकिनार किया है। जहां पूरे विपक्ष के साथ ही टीएमसी ने संविधान दिवस का वहिष्कार किया था, वहीं नुसरत जहां ने इसमें हिस्सा लिया है। हालांकि इससे पहले भी नुसरत ने ममता के कई फैसलों पर अपनी सहमति नहीं जताई है।

नुसरत जहां ने आज संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित संविधान दिवस  के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जबकि पूरे विपक्ष ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था। जिसके लिए अपने सांसदों पर इस कार्यक्रम में जाने से रोक लगाई थी। लेकिन इसके बावजूद नुसरत जहां ने इस कार्यक्रमम में हिस्सा लिया। जिसके कारण टीएमसी की निंदा हो रही है। हालांकि इससे पहले नुसरत जहां  जम्मू कश्मीर से धारा अनुच्छेद 370 हटाने के पार्टी के स्टैंड के खिलाफ भी जा चुकी हैं।

इसके साथ ही वह अभी तक  कई  बार मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रही हैं। क्योंकि उनकी वेशभूषा और पहनावे को लेकर कट्टरपंथी उनकी आलोचना करते रहते हैं। वहीं आज विपक्ष द्वारा किए गए प्रदर्शन में भी नुसरत जहां ने हिस्सा नहीं लिया। जिसका मकसद विपक्षी दलों को केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ एकजुट दिखाना था। नुसरत जहां ने अपनी पार्टी के अन्य नेताओं के विपरीत प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया और वह संविधान दिवस से जुड़े कार्यक्रम में नजर आईं। हालांकि मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक नुसरत सरकार के कार्यक्रम में गलती से पहुंच गई थी।

असल में विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के सीएम देवेन्द्र फणडवीस को सीएम पद की शपथ दिलाए जाने के खिलाफ आज संविधान दिवस पर संसद परिसर में मौजूद आंबेडकर की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने का फैसला किया था। विपक्षी दलों के नेता आंबेडकर की प्रतिमा के नजदीक धरने पर बैठकर अपना विरोध जता रहे थे जबकि सरकार ने उसी वक्त संसद के सेंट्रल हॉल कार्यक्रम का आयोजन किया था।
 

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