राज्य सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी की है और कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 को रद्द कर दिया गया है। इस बारे में कांग्रेस का कहना है कि मीसा बंदियों पर खर्च की जाने वाली लाखों-करोड़ो रुपयों की राशि के वितरण को रोकने के लिए इस निधि को बंद कर दिया गया है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की कांग्रेस सरकार ने राज्य में चल रही मीसा बंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि को बंद कर दिया है। ये सम्मान निधि आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले बंदियों को राज्य सरकारों द्वारा दी जाती है। ये सम्मान निधि राज्य की पूर्व भाजपा सरकार ने शुरू की थी। लेकिन राज्य में सत्ता बदलने ही भूपेश बघेल सरकार ने इस सम्मान निधि को बंद कर दिया है।
असल में राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के साथ ही इस सम्मान निधि को समाप्त करने की मांग उठने लगी थी। क्योंकि ये सम्मान निधि देश में लगे आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों को दी जाती है। 15 साल पहले जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी थी तो इसे शुरू किया गया था। छत्तीसगढ़ के साथ ही इस सम्मान निधि को मध्य प्रदेश में भी शुरू किया गया था। लेकिन वहां पर भी कमलनाथ सरकार बनने के बाद इस सम्मान निधि को बंद कर दिया और उसी तर्ज पर इसे छत्तीसगढ़ में भी बंद करने की मांग कांग्रेस संगठन की तरफ से की जा रही थी।
लेकिन अब इस पर राज्य सरकार ने फैसला लिया है। जबकि कांग्रेस संगठन के नेता इस निधि को बंद करने के लिए पिछले एक साल से मांग कर रहे हैं। क्योंकि राज्य में पिछले साल कांग्रेस की सरकार बन गई थी। राज्य में करीब तीन सौ मीसाबंदी हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी की है और कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 को रद्द कर दिया गया है। इस बारे में कांग्रेस का कहना है कि मीसा बंदियों पर खर्च की जाने वाली लाखों-करोड़ो रुपयों की राशि के वितरण को रोकने के लिए इस निधि को बंद कर दिया गया है।
क्योंकि इसका फायदा भाजपा और संघ के लोगों को हो रहा था। राज्य की पिछली भाजपा सरकार ने भाजपा और आरएसएस के नेताओं को खुश करने के लिए मीसा बंदियों को सम्मा निधि देने का फैसला किया था। उधर भाजपा ने राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार ये फैसला अनुचित है तथा ये लोकतंत्र की हत्या है।