मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा में बगावत की आहट, सोनिया के करीबी नेता ने दिखाए बागी तेवर

By Team MyNation  |  First Published Mar 12, 2020, 3:31 PM IST

कांग्रेस पहले से ही मध्य प्रदेश को लेकर मुश्किल में हैं वहीं अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र हुड्डा ने पार्टी के सामने बड़ी शर्त रख दी है। जिसको लेकर कांग्रेस आलाकमान अप पसोपेश में है।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के बाद अब कांग्रेस की मुश्किलें हरियाणा में बढ़ने जा रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब हरियाणा के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी है। सोनिया के करीबी माने जाने वाले हुड़्डा ने अब प्रदेश अध्यक्ष के लिए अपने बेटे दीपेन्द्र हुड्डा की दावेदारी के लिए आलाकमान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस पहले से ही मध्य प्रदेश को लेकर मुश्किल में हैं वहीं अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र हुड्डा ने पार्टी के सामने बड़ी शर्त रख दी है। जिसको लेकर कांग्रेस आलाकमान अप पसोपेश में है। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान उनके बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए या फिर राज्यसभा भेजे। अभी तक कुमारी शैलजा पार्टी की अध्यक्ष हैं और साथ ही राज्यसभा सदस्य भी हैं। हालांकि इससे पहले भी हुड्डा कांग्रेस नेतृत्व को बागी तेवर दिखा चुके हैं।

माना जा रहा है कि अगर हरियाणा में कांग्रेस हुड्डा की बात नहीं मानती है तो पार्टी टूट सकती है।  क्योंकि विधानसभा में ज्यादातर विधायक हुड्डा समर्थक है। बहरहाल हरियाणा में कांग्रेस राज्यसभा की सीट जीतने की स्थिति में है। लेकिन हुड्डा चाहते हैं कि शैलजा राज्यसभा चली जाए। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर दीपेन्द्र हुड्डा को नियुक्त किया जाए। हुड्डा ने आलाकमान से साफ कहा है कि शैलजा को राज्यसभा के बदले में हरियाणा कांग्रेस की कमान दीपेंद्र हुड्डा दी जाए या फिर दीपेन्द्र हुड्डा को राज्यसभा भेजा जाए। इसके साथ ही भूपेंद्र हुड्डा अपने धुर विरोधी रणदीप सुरजेवाला को किसी भी राज्य से राज्यसभा न भेजने की बात कही है। जिसको लेकर हरियाणा में कांग्रेस के सामने संकट खड़ा  हो गया है।

असल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने से कांग्रेस का समीकरण बदल गया है और हर नेता अपने तरीके से आलाकमान पर दबाव बना रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले भी हुड्डा सोनिया गांधी को बागी तेवर दिखा चुके हैं और उन्होंने अनुच्छेद 370 पर केन्द्र सरकार की खुलकर तारीफ कर कांग्रेस को मुश्किलों में डाल दिया था। डुड्डा के दबाव के कारण ही पार्टी ने उन्हें चुनाव समिति का अध्यक्ष  नियुक्त किया और हुड्डा समर्थक नेताओं को विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा टिकट दिए थे।
 

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