यूपी के बाद अब महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार ने काटी विधायकों की सेलरी

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अप्रैल से लागू होने वाला वेतन कटौती एक साल के लिए होगी। इस बीच सरकार ने लॉकडाउन के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक पुनरुद्धार योजना के मूल्यांकन और तैयार करने के लिए दो समितियों के गठन को भी मंजूरी दी।

After UP, now Maharashtra and Karnataka government cut the salary of MLA

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बाद अब महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार ने भी मंत्रियों और विधायकों के वेतन में तीस फीसदी की कटौती की है। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे ने आज कैबिनेट की बैठक के बाद विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ये वेतन कटौती एक साल के लिए होगी। वहीं कर्नाटक सरकार ने विधायकों के वेतन में कटौती का फैसला किया है।

After UP, now Maharashtra and Karnataka government cut the salary of MLA

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अप्रैल से लागू होने वाला वेतन कटौती एक साल के लिए होगी। इस बीच सरकार ने लॉकडाउन के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक पुनरुद्धार योजना के मूल्यांकन और तैयार करने के लिए दो समितियों के गठन को भी मंजूरी दी। एक समिति में पूर्व नौकरशाह और महाराष्ट्र वित्त मंत्रालय के अधिकारियों सहित विशेषज्ञ होंगे। अन्य समिति में मंत्री होंगे अजीत पवार (डिप्टी सीएम), जयंत पाटिल, बालासाहेब थोरात, छगन भुजबल और अनिल परब होंगे।

वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने भी राज्य के मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती को मंजूरी दे दी है। कोरोनोवायरस संकट के बीच, राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने बताया है कि एक साल के लिए मंत्रियों और विधायकों के वेतन में कटौती की गई है। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की अध्यक्षता में मंजूरी दी।  राज्य सरकार के इस फैसले के तहत मंत्रियों, विधायकों, एमएलसी, अध्यक्ष, उपसभापति, मुख्य सचेतक के 30 प्रतिशत वेतन और भत्ते में एक अप्रैल से एक साल तक की कटौती की गई है।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को संसद के सभी सदस्यों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की थी वहीं सांसदों के स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) योजना के दो साल के निलंबन को मंजूरी दे दी थी।

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