वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में गवाह बने बिचौलिए राजीव सक्सेना से मिली सूचना के आदार पर भी सुशेन मोहन गुप्ता की गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में पहले ब्रिटेन स्थित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल और वकील गौतम खेतान को प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बिचौलिए सुशेन मोहन गुप्ता से पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय को चार दिन का और समय मिल गया है। इस घोटाले एक और बिचौलिए राजीव सक्सेना से मिली सूचना के आधार पर सुशेन गुप्ता की गिरफ्तारी हुई है। राजीव सक्सेना हाल ही में गवाह बना है। सुशेन की हिरासत बढ़ाने की खातिर ईडी ने विशेष सीबीआई अदालत में कई तथ्य पेश किए थे, इनमें जांच में हस्तक्षेप और लोगों को प्रभावित करने की दलील भी दी गई थी।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कोर्ट में बताया गया, ‘सक्सेना ने ईडी को दो डायरी और अन्य दस्तावेज के साथ-साथ सुशेन गुप्ता से जुड़ी के एक पेन ड्राइव दी है।’
‘माय नेशन’ के पास वो दस्तावेज हैं, जिन्हें ईडी की ओर से कोर्ट में पेश किया गया है। साथ ही बताया गया है कि कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए के सबसे बड़े घोटालों में से एक में गुप्ता और क्या महत्वपूर्ण जानकारियों दे सकता है।
ये रहे कारण
ईडी अगस्ता गौतम खेतान और राजीव सक्सेना जैसे वेस्टलैंड घोटाले के दूसरे बड़े आरोपियों से गुप्ता का आमना-सामना कराना चाहती है।
आरोप है कि गुप्ता इस मामले में हुए लेनदेन के खेल में शुरु से गौतम खेतान के साथ सक्रिय था। अलग-अलग देशों में विभिन्न कंपनियों के जरिए आरोपी ने पैसे को पहुंचाया।
ईडी ने अदालत को बताया की पूछताछ के दौरान गुप्ता ने 11 ऐसे लोगों से संपर्क होने की बात मानी है, जिनसे ईडी पहले ही पूछताछ कर चुकी है। इसके बावजूद कई ऐसा सवाल हैं, जिनके जवाब का पता लगाना जरूरी है।
गुप्ता के खिलाफ मौजूद ‘अहम साक्ष्यों’ के बावजूद ईडी का कहना है कि वह सहयोग नहीं कर रहा और साथ ही गोलमोल जवाब दे रहा है।
रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के उलट गुप्ता अपने पास मौजूद कुछ अहम तथ्य छिपा रहा है।
ईडी अब भी बैकों से ब्यौरे लेने की प्रक्रिया में है, ताकि इस पूरे मामले में पैसों के लेनदेन को सामने लाया जा सके और अपराध की वास्तविक प्रकृति का खुलासा हो सके।
ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कैसे घूस को घुमाते हुए लोगों तक पहुंचाया गया। मनी लांड्रिंग में कौन-कौन सी कंपनियां शामिल थीं। उन जगहों का पता लगाने की भी कोशिश हो रही है जहां से इस पैसे को सिस्टम में लगाया गया।