क्यों देवगौड़ा को कहना पड़ा 'अय्यो राम कौन मुझे याद करेगा'

असम में देश के सबसे लंबे रेल सड़क पुल के उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित न किए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने नाराजगी जताई। जबकि इस पुल की आधारशिला देवगौड़ा ने अपने प्रधानमंत्री रहते हुए रखी थी। 

Aiyo Rama! Who will remember me? Deve Gowda on being left out of Bogibeel bridge inaugural

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। देवगौड़ा ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि ‘अय्यो रामा! कौन मुझे याद करेगा। असल में देवगौड़ा की नाराजगी बोगीबील रेल सड़क परियोजना में नहीं बुलाए जाने को लेकर थी।

असम में देश के सबसे लंबे रेल सड़क पुल के उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित न किए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने नाराजगी जताई। जबकि इस पुल की आधारशिला देवगौड़ा ने अपने प्रधानमंत्री रहते हुए रखी थी। देवगौड़ा ने ही इसकी आधारशिला रखी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर 5900 करोड़ रुपये की लागत से बने 4.9 किलोमीटर लंबे पुल का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री रहते हुए देवगौड़ा ने 1997 में परियोजना की आधारशिला रखी थी। 

देवगौड़ा ने कहा,  ‘कश्मीर के लिए रेल लाइन, दिल्ली मेट्रो और बोगीबील रेल सड़क पुल वैसी परियोजनाएं हैं, जिन्हें मैंने मंजूरी दी थी। मैंने प्रत्येक परियोजना के लिए 100-100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था और इनकी आधारशिला रखी थी। लोगों ने आज इसे भुला दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कई परियोजनाओं की मंजूरी दी। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कार्यक्रम के लिए आमंत्रण पत्र मिला कया तो उन्होंने तपाक से कहा कि ‘‘अय्यो रामा! कौन मुझे याद करेगा?

उधर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार जीतते तो बोगीबील पुल 2008-2009 तक बनकर ही पूरा हो जाता। उनकी सरकार के बाद 2014 तक परियोजना पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बोगीबील पुल पर वाहनों और रेलगाड़ियों की आवाजाही से देश की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होगी। उन्होंने कहा कि यह केवल पुल नहीं है बल्कि असम और अरूणाचल प्रदेश के लोगों की जीवनरेखा है।

इस पुल के बन जाने से असम के डिब्रूगढ़ और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागून के बीच की दूरी 700 किलोमीटर से घटकर 200 किलोमीटर से भी कम रह जाएगी। पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने तिनसुकिया-नाहरलागून इंटरसिटी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई जो हफ्ते में पांच दिन चलेगी और इससे असम के तिनसुकिया और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागून के बीच रेलगाड़ी से यात्रा की अवधि दस घंटे से भी कम हो जाएगी।

असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी। यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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