असल में अखिलेश यादव को ये बात समझ में आ गई है कि अब आने वाले विधानसभा चुनाव में असल लड़ाई भाजपा और सपा की है। क्योंकि उपचुनाव में जिस तरह से जनता ने नतीजे दिए हैं। वह किसी भी हाल में भाजपा के पक्ष में नहीं है। क्योंकि भाजपा सत्ताधारी पार्टी है और उसके बाद भी उसे एक सीट का नुकसान हुआ है जबकि सपा को तीन सीटें मिली हैं। उसकी कुल सीटों में दो सीटों का इजाफा हुआ है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर 2022 के लिए पार्टी को मजबूत करने के लिए पैडल मारेंगे। अखिलेश साइकिल के जरिए राज्य की यात्रा में निकलकर भाजपा सरकार को घेरेंगे। राज्य और केन्द्र में भाजपा की सत्ता आते ही सपा को जिस तरह से झटके लगे थे। पार्टी उससे उबरने के लिए एक बार फिर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए साइकिल की यात्रा करेंगे।
असल में अखिलेश यादव को ये बात समझ में आ गई है कि अब आने वाले विधानसभा चुनाव में असल लड़ाई भाजपा और सपा की है। क्योंकि उपचुनाव में जिस तरह से जनता ने नतीजे दिए हैं। वह किसी भी हाल में भाजपा के पक्ष में नहीं है। क्योंकि भाजपा सत्ताधारी पार्टी है और उसके बाद भी उसे एक सीट का नुकसान हुआ है जबकि सपा को तीन सीटें मिली हैं। उसकी कुल सीटों में दो सीटों का इजाफा हुआ है। वहीं राज्य में 2017 में हुए उपचुनाव में सपा ने बाजी मारी थी।
जिसके बाद राज्य में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ था। लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बसपा ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया था। अब उपचुनाव में जहां बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई है वहीं मायावती का गढ़ समझे जाने वाले अम्बेडकर नगर की जलालपुर सीट भी बसपा हार गई है। बसपा राज्य में तीसरे नंबर पर आ गई है। जबकि लोकसभा में सदस्यों के मुताबिक वह राज्य में दूसरी नंबर की पार्टी है। क्योंकि उसके दस सांसद हैं।
उपचुनाव में आए नतीजों से उत्साहित समाजवादी पार्टी अब जमीन पर उतरेगी। हालांकि राज्य में चुनाव होने में अभी दो साल का समय है। लेकिन सपा फिर से आक्रामक रुप दिखाकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहती है। लिहाजजा अब अखिलेश कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए खुद कई जिलों के दौरे पर निकलेंगे। माना जा रहा है कि अखिलेश एक बार फिर कई जिलों में साइकिल यात्रा पर निकलेंगे। उपचुनाव में सपा रामपुर, जलालपुर, जैदपुर सीट जीतने में कामयाब रही। अखिलेश की अगुवाई में 2012 में राज्य में सपा की सरकार बनी। लेकिन 2017 के चुनाव में पार्टी की स्थिति काफी खराब हो गई थी और पार्टी ने कांग्रेस से मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन वह 47 सीटों में ही सिमट गई।