बागी चाचा शिवपाल की विधायकी छिनेंगे अखिलेश

By Team MyNation  |  First Published Sep 14, 2019, 8:19 AM IST

सपा संरक्षक और शिवपाल सिंह के बड़े भाई मुलायम सिंह यादव परिवार में एकता की कोशिश करते रहते हैं। मुलायम  को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव और शिवपाल एक साथ  हो जाएंगे। लेकिन फिलहाल इसकी उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव में प्रसपा ने सपा को काफी नुकसान पहुंचाया था। खासतौर पर फिरोजबाद में जहां शिवपाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था और यहां पर हालांकि शिवपाल चुनाव जीत न सके थे, लेकिन उन्होंने अक्षय यादव को हराने में अहम भूमिका निभाई।

लखनऊ। फिलहाल मौजूदा समय में ये तय हो गया है कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव परिवार में एकता की गुंजाइश नहीं है। क्योंकि अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव की विधायकी छिनने जा रहे हैं। इसके जरिए अखिलेश एक तरफ शिवपाल की विधायकी तो छिनेंगे ही साथ ही वह शिवपाल को मिली सरकारी कोठी से भी उन्हें बाहर करेंगे। हालांकि इसके लिए तो योग सरकार का राज्य संपत्ति विभाग फैसला लेगा। लेकिन ऐसा कर अखिलेश चाचा शिवपाल को झटका देने की तैयारी में हैं।

समाजवादी पार्टी ने प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। क्योंकि शिवपाल विधायक समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बने हैं। लिहाजा बागी हो चुके शिवपाल को उनके भतीजे अखिलेश यादव पार्टी से बाहर कर उनकी विधायकी छिनने जा रहे हैं।

हालांकि अभी तक सपा ने शिवपाल को पार्टी से बाहर नहीं किया है। क्योंकि अगर पार्टी ऐसा करती है तो शिवपाल की विधायकी बच सकती है। लिहाजा पार्टी शिवपाल की पार्टीट बनाने को मुद्दा बनाकर उन्हें विधायकी से बेदखल करना चाहती है। हालांकि शिवपाल ने एक साल पहले ही सपा से बागी होकर पार्टी का गठन कर लिया था। लेकिन सपा ने उन्हें निकाला नहीं था। लिहाजा विधानसभा में शिवपाल सपा के विधायक के तौर पर बैठते हैं।

हालांकि सपा संरक्षक और शिवपाल सिंह के बड़े भाई मुलायम सिंह यादव परिवार में एकता की कोशिश करते रहते हैं। मुलायम  को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव और शिवपाल एक साथ  हो जाएंगे। लेकिन फिलहाल इसकी उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव में प्रसपा ने सपा को काफी नुकसान पहुंचाया था।

खासतौर पर फिरोजबाद में जहां शिवपाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था और यहां पर हालांकि शिवपाल चुनाव जीत न सके थे, लेकिन उन्होंने अक्षय यादव को हराने में अहम भूमिका निभाई। यही नहीं कई सीटों में सपा की हार के अंतर के वोट प्रसपा को मिले थे।  

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