अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने नारा दिया था काम बोलता है। जिसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा था ‘कारनामा बोलता है’। पीएम की बात सच साबित हुई, अखिलेश यादव के कारनामे खुलने लगे हैं।
अखिलेश यादव के कार्यकाल में 97 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। यह खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। इसके बाद यूपी की बीजेपी सरकार अखिलेश और घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।
कैग की रिपोर्ट में जो बात सामने आई है उसमें कहा गया है कि सपा सरकार के दौरान 97 हजार करोड़ रुपये कहां और कैसे खर्च हुई इसका इन विभागों के पास कोई लेखा जोखा मौजूद नहीं है। इस पूरे मामले में पंचायती राज विभाग, समाज कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग ने मिलकर अकेले करीब 26 हजार करोड़ रुपए की लूट खसोट की है।
वर्ष 2018 की अगस्त में आई इस रिपोर्ट में कैग यह पूरा मामला उजागर हुआ है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, धनराशि खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध न होने से यूपी में बड़े पैमाने पर धनराशि के दुरुपयोग और खर्च में धोखाधड़ी की आशंका है।
यूपी में 2014 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए करीब ढाई लाख से ज्यादा कार्यों का उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं है। यूपी में धनराशि के उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का मामला कई बार शासन के सामने लाया गया, मगर कोई सुधार नहीं हुआ है।
खास बात यह है कि सिर्फ एक बार के मुख्यमंत्री के अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ में एक हजार करोड़ का होटल बनाने की तैयारी में थे।