एसपी प्रमुख अखिलेश यादव की अगुवाई में पार्टी ने ये दूसरा बड़ा चुनाव हार है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव भी अखिलेश की अगुवाई में हुए थे। इसमें पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी और वह 47 सांसदों में ही सिमट गयी। इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले एसपी और बीएसपी ने चुनावी गठबंधन किया। लेकिन बहुजन समाज पार्टी को इससे फायदा मिला और उसने 10 सीटें जीती जबकि एसपी महज पांच सीटों पर ही सिमट गयी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव अब पार्टी को राज्य में फिर से खड़ा करने के लिए राहुल गांधी की राह पर चलेंगे। जल्द ही अखिलेश यादव पार्टी में बदलाव करने जा रहे हैं। अखिलेश यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई फ्रंटल संगठनों के मुखियाओं से इस्तीफा लेंगे। हालांकि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद खुद इस्तीफा नहीं देंगे।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को हुआ है। कभी केन्द्र में सरकार बनाने वाली एसपी आज महज पांच सांसदों में सिमट गयी है। एसपी प्रमुख अखिलेश यादव की अगुवाई में पार्टी ने ये दूसरा बड़ा चुनाव हार है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव भी अखिलेश की अगुवाई में हुए थे। इसमें पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी और वह 47 सांसदों में ही सिमट गयी।
इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले एसपी और बीएसपी ने चुनावी गठबंधन किया। लेकिन बहुजन समाज पार्टी को इससे फायदा मिला और उसने 10 सीटें जीती जबकि एसपी महज पांच सीटों पर ही सिमट गयी। अब अखिलेश यादव राहुल गांधी की तर्ज पर पार्टी में ओवरहोलिंग करने जा रहे हैं। अभी अखिलेश विदेश के दौरे पर हैं और जुलाई के पहले सप्ताह में वह विदेश से वापस आने के बाद पार्टी में बदलाव करेंगे।
पार्टी अभी से 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी करेगी। हालांकि बीएसपी ने इसकी तैयारी कर दी है। लेकिन एसपी नेतृत्व फिलहाल शांत है। इसका सबसे बड़ा कारण पार्टी में बदलाव किया जाना है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर किसी अन्य को कमान सौंपने की तैयारी है। वहीं फ्रंटल संगठनों के मुखियाओं को भी हटाया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही नये तेवर और कलेवर के साथ जनता के बीच जाएगी। फ्रंटल संगठनों को पार्टी के मिजाज के तहत और आक्रामक बनाया जाएगा। जो राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।