‘छह हफ्ते में नियुक्त किए जाएं सभी सूचना आयुक्त’: सुप्रीम कोर्ट

By Gopal KFirst Published Feb 15, 2019, 2:27 PM IST
Highlights

केंद्र और राज्य में सूचना आयुक्तों के खाली पड़े पदों को मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है।कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को छह हफ़्ते में सभी पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित करने को कहा है। 
 

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वो चुनाव आयुक्त की तर्ज़ पर केंद्रीय सूचना आयुक्तों और राज्य के मुख्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करे और सर्च कमेटी की ओर से उम्मीदवारों को चुनने की कसौटी को सार्वजनिक किया जाए। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि सूचना आयुक्तों के  चयन के लिए सिर्फ पूर्व नौकरशाहों, सरकारी अधिकारियों पर ही विचार न हो, बाक़ी फील्ड के विशेषज्ञों को भी इन पदों पर पर नियुक्ति के लिए विचार होना चाहिए। 

बतादें कि यह याचिका सतर्क नागरिक संगठन से जुड़ी और आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि सूचना आयुक्तों की कमी के चलते सूचना के अधिकार के तहत आने वाली अपीलों और शिकायतों का निपटारा करने में करीब एक साल का समय लग रहा है। जिसके चलते केंद्रीय सूचना आयोग के पास अपीलों का अंबार बढ़ता जा रहा है। 

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में देरी के लिए सरकार ही जिम्मेदारी है। सूचना अधिकार कानून के को लेकर हाल ही में जारी रिपोर्ट की माने तो देश मे हर साल केंद्र और राज्यों में 40 से 60 लाख आरटीआई आवेदन दाखिल किए जाते है। 

आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज का कहना है कि इसकी वजह है कि केंद्रीय सूचना आयोग में केवल 7 सूचना आयुक्त ही काम कर रहे हैं। जिसके चलते 1 जनवरी 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक 25 हजार से ज्यादा शिकायतों और अपीलों का अंबार लगा हुआ है। 

मार्च 2011 में सिंगल बेंच हर साल लगभग 3200 शिकायतों और अपीलों का निपटारा करती थी, लेकिन आज के समय मे सीआईसी में जो हालात है, उसके चलते तीन महीनों में यह औसत गिर कर 800 से भी कम हो गया है। अंजली के मुताबिक हालात और बदलकर होने वाले है, क्योंकि सीआईसी में मुख्य सूचना आयुक्त सहित चार लोग रिटायर्ड होने वाले हैं और मुख्य सूचना आयुक्त के रिटायर्ड होने के बाद वहां कोई केसों का बंटवारा करने वाला नहीं होगा और प्रशासनिक समस्याऐ भी पैदा होगी। 

आंकड़ों के मुताबिक आरटीआई एक्ट के सेक्शन 20 के तहत तकरीबन 56 फीसदी आवेदन ऐसे थे, जिनमें जनसूचना अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया, लेकिन मात्र 28 फीसदी मामलों में ही सूचना आयुक्तों ने कारण बताओ नोटिस जारी किया, जबकि सिर्फ चार फीसदी मामलों में अर्थ दंड लगाया। रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2016 तक मात्र सीआईसी ने 1.93 करोड़ का ही अर्थदंड लगाया। 

केंद्र और राज्यों में सूचना आयुक्तों के कुल 156 पद है, लेकिन इनमें से 48 पद काफी समय से खाली है।
 

click me!