असल में पिछले साल ही आईएमएफ का कहना था कि चीन के कर्ज के जाल में कई देश आ रहे हैं। आईएमएफ का कहना था कि चीन से कर्ज लेने वाले देशों की आर्थिक स्थिति खराब है और चीन कर्ज देकर अपने डेटट्रैप में फंसा रहा है।
नई दिल्ली। चीन सरकार अपने कर्ज के जाल में कई देशों को फंसा चुकी है और अब उसकी नजर बेलारूस पर है। फिलहाल बेलारूस ने चीन से कर्ज लिया है। क्योंकि बेलारूस को रूस ने कर्ज देने से मना कर दिया है।जिसके बाद बेलारूस ने चीन से कर्ज लिया है। लिहाजा अब बेलारूस के कारण रूसऔर चीन के बीच विवाद बढ़ रहा है। वहीं चीन इससे पहले मालदीव, श्रीलंका, नेपाल समेत कई देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा चुका है।
असल में पिछले साल ही आईएमएफ का कहना था कि चीन के कर्ज के जाल में कई देश आ रहे हैं। आईएमएफ का कहना था कि चीन से कर्ज लेने वाले देशों की आर्थिक स्थिति खराब है और चीन कर्ज देकर अपने डेटट्रैप में फंसा रहा है। वहीं अब चीन के कर्ज के जाल में बेलारूस भी आ गया है। जिसे चीन ने कर्ज दिया है। ताकि बेलारूस अपनी आर्थिक स्थिति को संभाल सके। बताया जा रहा है कि चीन द्ववारा बेलारूख को कर्ज दिए जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
बेलारूस ने रूस के कर्ज नहीं देने पर चीन के साथ डील कर ली है चाइना डिवलपमेंट बैंक ने उसे 50 करोड़ डॉलर कर्ज दे दिया। वहीं बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को जन विद्रोह से बचाने में लगे रूस को बड़ा झटका दिया है। बेलारूस ने रूस से कर्ज मांगा था, लेकिन रूस ने कर्ज देने से मना कर दिया है। जबकि इस मौके को भांपते हुए चीन ने बेलारूख को कर्ज दे दिया हैऔर चीन के साथ डील कर ली है। रूस ने इससे पहले बेलारूस के 60 करोड़ डॉलर के कर्ज देने के अनुरोध को ठुकरा दिया था।
बेलारूस के वित्त मंत्री माकसिम येरमलोविच ने चीन से कर्ज लेने की बात को स्वीकर किया है और अब रूस को संदेश भी दे दिया कि उसे मास्को के पैसे की की जरूरत नहीं है। बताया जा रहा है कि बेलारूस और चीन के बीच तेजी से बढ़ती दोस्ती के कारण नए क्षेत्रीय टकराव हो सकते हैं। रूस और यूक्रेन तनाव की शुरुआत के बाद बेलारूस की चीन के साथ दोस्ती हुई है और चीन उसे कर्ज देकर अपने अधिकार में लाना चाहता है। वहीं चीन और बेलारूस दोनों के बीच राजनीतिक और सैन्य संबंध विकसित होने लगे हैं।