आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने राजनैतिक तौर पर सबसे अहम उत्तर प्रदेश में सहयोगियों की नाराजगी काफी हद तक कम कर दी है।
लखनऊ | आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने राजनैतिक तौर पर सबसे अहम उत्तर प्रदेश में सहयोगियों की नाराजगी काफी हद तक कम कर दी है। केन्द्र और राज्य सरकार में भाजपा का सहयोगी दल अपना दल ने अब अपना रूख नरम कर दिया है। जबकि राज्य सरकार में सहयोगी सुभासपा की भी सरकार के खिलाफ नाराजगी कम हुई है।
अपना दल (एस) के अध्यक्ष आशीष पटेल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और अपनी नाराजगी का कारण बताया। कुछ दिन पहले आशीष पटेल और केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे, कि अगर उन्हें गठबंधन में सम्मान नहीं मिला तो वह उससे बाहर हो सकते हैं। केन्द्रीय स्वास्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (एस) ने कई बार उत्तर प्रदेश भाजपा पर ईमानदारी से गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाया था।
उनका कहना था कि प्रदेश भाजपा का एक वर्ग नहीं चाहता कि अपना दल जैसे ईमानदार सहयोगी दल भाजपा के साथ रहें। वहीं गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद अपना दल के नेताओं के सुर बदले से नजर आए। हालांकि अमित शाह से बैठक को लेकर लखनऊ में सभी राष्ट्रीय तथा प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक को टाल दिया था। उधर अपना दल ने शाह से कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में 50 प्रतिशत थानों में दलित तथा पिछड़े वर्ग के थानाध्यक्षों की नियुक्ति की जाए।
इस तरह की मांग अपना दल काफी पहले से कर रहा है। इसके साथ ही विभिन्न निगमों के पदों पर नियुक्ति में अपना दल के प्रतिनिधियों को जगह,आउटसोर्सिंग और अनुबंध के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों में भी पिछड़ों तथा दलितों को आरक्षण की व्यवस्था की जाए। उधर अपना दल ने पार्टी संरक्षक अनुप्रिया पटेल से प्रियंका गांधी वाड्रा की मुलाकात को व्यक्तिगत बताया और कहा कि इसके राजनैतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए।