सेना ने विवादों में घिरी पूर्वोत्तर की खुफिया इकाई के कर्नल को हटाया

सेना के सूत्रों के अनुसार, कर्नल के खिलाफ कथित फर्जी एनकाउंटर का दावा करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल के मामले को सही से न संभालने के चलते कार्रवाई की गई है। 

Army removes commanding officer of controversial spy unit in Northeast

सेना ने विवादों में घिरी पूर्वोत्तर की खुफिया इकाई के कमांडिंग अधिकारी को हटा दिया है। अपनी ही बटालियन के एक लेफ्टिनेंट कर्नल को गिरफ्तार करने के बाद खड़े हुए विवाद के सिलसिले में कर्नल रैंक के इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई है। 

सेना के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'कर्नल को उनके कार्यकाल के बीच में से ही हटा दिया गया है। उनकी यूनिट 3 कोर के तहत आने वाले पूर्वोत्तर के इलाके में तैनात है। अब इस यूनिट की जिम्मेदारी एक नए अधिकारी को दी गई है।'

 सेना के अधिकारियों ने कर्नल को हटाए जाने के कारणों का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया है। लेकिन सेना के सूत्रों के अनुसार, कर्नल के खिलाफ लेफ्टिनेंट कर्नल के मामले को सही से न संभालने के चलते कार्रवाई की गई है। लेफ्टिनेंट कर्नल ने आरोप लगाया था कि उनकी यूनिट कथित फर्जी एनकाउंटर और दूसरे अपराधों में शामिल रही है। 

सूत्रों का कहना है कि इस छोटे से मामले से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने से बचा जा सकता था। इस साल पहली जुलाई को इंफाल में तैनात एक लेफ्टिनेंट कर्नल को हथियारबंद जवानों ने दो अधिकारियों की मौजूदगी में यूनिट के आदेश पर घर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल की पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पति का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया है। उन्होंने इसके लिए एक प्रेस कांफ्रेंस भी की थी। 

यह मामला बाद में कोर्ट पहुंच गया। जहां सेना के संबंधित अधिकारियों की ओर से कहा गया कि लेफ्टिनेंट कर्नल नगालैंड में तैनात थे और बाद में उन्हें कामकाज के सिलसिले में अस्थायी तौर पर मणिपुर भेजा गया था। इसके बाद उन्हें मूल मुख्यालय में बुला लिया गया। 

मामला बढ़ने के बाद उक्त लेफ्टिनेंट कर्नल की ओर से कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा गया कि सितंबर, 2016 में उन्होंने एक पत्र में उनकी यूनिट द्वारा फर्जी मुठभेड़ों और उगाही करने की बात लिखी थी, इसके बाद उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। उन्हें परेशान करने के लिए संगठित होकर अभियान चलाया गया। 

यही नहीं इस अधिकारी ने अपने शपथपत्र में इन कथित फर्जी एनकाउंटरों की तारीखें और ब्यौरा भी दिया था। हालांकि सेना के सूत्रों ने सभी आरोपों से इनकार किया था। इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। स्थानीय मानवाधिकार समूहों ने कथित फर्जी एनकाउंटरों की जांच कराने की मांग शुरू कर दी। 

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