सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा जैसे शहरी नक्सलियों के चेहरे से शराफत और मासूमियत का नकाब उतर रहा है। एक पूर्व नक्सली ने इन सबके बारे में विस्तार से बताया है, कि कैसे यह सब मासूम समाजसेवी की खाल ओढ़े हुए नक्सली भेड़िए हैं।
छत्तीसगढ़ से पिछले दिनों गिरफ्तार हुए कुख्यात नक्सली पहाड़ सिंह ने सनसनीखेज खुलासा किया है। उसने बताया है, कि पीएम मोदी की हत्या की साजिश में 27 अगस्त को नजरबंद किए गए, छत्तीसगढ़ की सुधा भारद्वाज के अलावा अरुण फरेरा, वरवरा राव व गौतम नवलखा को वह निजी तौर पर जानता-पहचानता है और यह सभी शहरी नक्सली नेटवर्क की मुख्य कड़ियां है।
आपको बता दें, कि पहाड़ सिंह कोई छोटा मोटा नक्सली नहीं है। उसके उपर 47(सैंतालीस) लाख रुपए का ईनाम था। उसने अभी 15 दिन पहले ही आत्मसमर्पण किया है। तीन राज्यों की पुलिस को उसकी तलाश थी। वह बेहद पढ़ा-लिखा व्यक्ति है और उसका व्यक्तित्व बेहद प्रभावशाली है। पहाड़ सिंह एक बहुत शानदार कवि भी है और वह वैचारिक आधार पर नक्सली आंदोलन से जुड़ा था।
लेकिन आत्मसमर्पण के बाद उसने बताया, कि जिस सिद्धांत के आधार पर नक्सली नेता नक्सलवादी विचारधारा की बात करते हैं, वह सिद्धांत ही खोखला पड़ चुका है। चंद आका और तस्कर किस्म के लोग इस खोखली विचारधारा का सहारा लेकर युवाओं को बहका रहे हैं और उन्हें नक्सलवाद की ओर धकेल रहे हैं। यही वजह कि उसने आत्मसमर्पण करके लोकतंत्र के रास्ते पर चलने का फैसला किया है।
पहाड़ सिंह ने पांच शहरी नक्सलियों के पुलिस के हत्थे चढ़ने की खबर सुनने के बाद स्वेच्छा से उनके बारे में जानकारी दी। उसने इन शहरी नक्सलियों में सबसे ज्यादा सम्मानित मानी जाने वाली सुधा भारद्वाज को शहरी नक्सली नेटवर्क की मुख्य कड़ी बताया और तीन नए नाम भी बताए। यह तीन नए नाम हैं दीपक तेलकुम्हड़े, उसकी पत्नी एंजिला तेलकुम्हड़े और मंजू।
आईए जानते हैं पहाड़ सिंह ने अपने बयान में इन शहरी नक्सलियों के बारे में क्या क्या कहा-
1. सुधा भारद्वाज- उपरी तौर पर आदिवासी गांव में रहकर बच्चों को पढ़ाने वाली यह महिला नक्सलियों का एक मजबूत शहरी नेटवर्क है, जो कि नक्सलियों के लगातार संपर्क में रहकर उनको कानूनी मदद उपलब्ध कराती है।
2. अरुण फरेरा : सेंट्रल कमेटी सदस्य स्तर का व्यक्ति है। वर्ष 2006 में कोरची में हुए नक्सलियों के अधिवेशन में भी शामिल हुआ था। पहाड़ सिंह इसी अधिवेशन में अरुण से मिला था।
3. दीपक तेलकुम्हड़े : सेंट्रल कमेटी मेंबर है। छत्तीसगढ़ में नक्सली विस्तार जोन एमएमसी का सदस्य है। नक्सलियों के लिए शहरी नेटवर्क के रूप में काम करता है।
4. एंजिला तेलकुम्हड़े : एंजिला, दीपक तेलकुम्हड़े की पत्नी है। पूर्व में नक्सलियों से मिलने जंगल में भी जाती थी, लेकिन एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद जंगल जाना छोड़ दिया। अब शहरी नेटवर्क के रूप में सक्रिय है।
5. गौतम नवलखा : नक्सली संगठन व पार्टी में होने वाली चर्चाओं के अनुसार नक्सलियों को सपोर्ट करने का काम गौतम नवलखा का है।
6. वरवरा राव : यह भी नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के रूप में काम करता है।
7. मंजू : मंजू मुंबई में रहती है और नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के लिए काम करती है। छत्तीसगढ़ में कुरखैरा के जंगल में मंजू से पहाड़ सिंह की मुलाकात हुई थी।
पहाड़ सिंह के इस खुलासे के बाद उन लोगों के मुंह पर ताला लग जाना चाहिए, जो कि इन गिरफ्तार शहरी नक्सलियों को समाजसेवी और लेखक बताते हुए इनकी गिरफ्तारी के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और इनके लिए समाज में सहानुभूति का माहौल तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।