अशोक गहलोत ने आज राजस्थान के 22 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। उनके साथ ही राज्य के उपमुख्यमत्री के पद पर सचिन पायलट ने भी शपथ ली। राज्यपाल कल्याण सिंह ने दोनों को शपथ दिलाई। गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं और वह तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता हैं। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेताओं के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं।
-भाजपा नेता वसुंधरा राजे भी पहुंची
-राज्य के 22 सीएम बने, तीन बार सीएम बनने वाले चौथे मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत ने आज राजस्थान के 22 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। उनके साथ ही राज्य के उपमुख्यमत्री के पद पर सचिन पायलट ने भी शपथ ली। राज्यपाल कल्याण सिंह ने दोनों को शपथ दिलाई। गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं और वह तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता हैं। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेताओं के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं।
जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह के दौरान गहलोत और पायलट के कार्यकर्ताओं में जबरदस्त जोश दिखा। समर्थक एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। सचिन पायलट ने राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद रहे। कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेताओं में कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी, टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, शरद यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, जीतनराम मांझी और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन मंच पर मौजूद रहे। हालांकि, बीएसपी सुप्रीमो, एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी समारोह में नहीं पहुंचे।
राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैंरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। राज्य में चार बार मुख्यमंत्री का पद संभालने का रिकार्ड मोहन लाल सुखाड़िया का है। वह चार बार राज्य के सीएम बने, गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2013 में और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद ऐसा माना जा रहा था कि गहलोत राजनैतिक तौर पर अलग थलक पड़ गए हैं। लेकिन राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले गहलोत ने फिर सत्ता में वापसी की है और साथ ही अपने विरोधियों को भी जबरदस्त मात दी है।