बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का आज 64वां जन्मदिन है और पार्टी उनका जन्मदिन मना रही है और उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। लेकिन इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मायावती को जन्मदिन की बधाई दी है।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के जन्म दिन पर आज समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बधाई दी है। पिछले साल सपा-बसपा के बीच गठबंधन होन के बाद अखिलेश यादव ने मायावती का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया। लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने उन्हें ट्वीटर के जरिए बधाई दी है।
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का आज 64वां जन्मदिन है और पार्टी उनका जन्मदिन मना रही है और उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। लेकिन इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मायावती को जन्मदिन की बधाई दी है। पार्टी के ट्विटर हेंडल पर मायावती के लिए जन्मदिन का संदेश लिखा है, ‘‘बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई!’’ वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपने ट्विटर हेंडल से मायावती को जन्मदिन की बधाई दी है।
गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मायावती की अखिलेश यादव के साथ कोई मुलाकात नहीं हुई है और परिणाम घोषित होने के बाद मायावती ने अखिलेश यादव को झटका देते हुए लोकसभा चुनाव के लिए किए गठबंधन को तोड़ दिया था। पिछले साल सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने के बाद सपा और बसपा ने मिलकर मायावती का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया था। हालांकि जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्पात मचाया था। जिसके बाद मायावती नाराज हो गई थीं।
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे। हालांकि बसपा ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए दस सीटें जीती थी जबकि सपा महज पांच सीट ही जीत पाई थी। इसके बाद मायावती ने सपा पर आरोप लगाया था कि सपा के वोटर ने बसपा को वोट नहीं दिया है। जबकि बसपा के वोटर ने सपा को वोट दिया है। लेकिन बाद मायावती ने सपा के साथ चुनावी गठबंधन को खत्म कर दिया था।
कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दूसरे का कट्टर विरोधी माने जाने वाली सपा और बसपा ने भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए हाथ मिलाया और मिलकर चुनाव लड़ा था। राज्य की 80 सीटों में से 38 पर बसपा ने प्रत्याशी उतारे थे जबकि 37 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन चुनाव में सपा कोई खास करिश्मा नहीं दिखा सकी और महज पांच सीटों पर सिमट गई। वहीं बसपा ने दस सीटें जीती। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।