बुरी फंसी शिवसेना: मनसे के दबाव में भाजपा को समर्थन, पर अब कांग्रेस नाराज

By Team MyNation  |  First Published Jan 26, 2020, 7:59 AM IST

महाराष्ट्र में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है। शिवसेना कभी कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती थी। लेकिन राज्य में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना नरम हिंदुत्व की राह पर है। लेकिन महज एक दिन में शिवसेना दावा कर रही है कि उनसे हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है। असल में शिवसेना की दुविधा ये है कि वह इस मुद्दे को मनसे को नहीं देना चाहती है। जिसने दो दिन पहले ही अपने चाल और चरित्र को बदला है।

मुंबई। महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार अब मुसीबत में फंस गई है। एक तरफ शिवसेना दावा कर रही है कि उनसे हिंदुत्व के मुद्दों को नहीं छोड़ा है और वहीं अब वह घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार को समर्थन दे रही है। लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के तेवरों से दबाव में आई शिवसेना के नए रूख से कांग्रेस नाराज है। क्योंकि शिवसेना ने घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार को समर्थन दिया है। जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

महाराष्ट्र में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है। शिवसेना कभी कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती थी। लेकिन राज्य में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना नरम हिंदुत्व की राह पर है। लेकिन महज एक दिन में शिवसेना दावा कर रही है कि उनसे हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है। असल में शिवसेना की दुविधा ये है कि वह इस मुद्दे को मनसे को नहीं देना चाहती है। जिसने दो दिन पहले ही अपने चाल और चरित्र को बदला है।

मनसे ने साफ कर दिया है कि वह कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करेगी। जो अभी तक शिवसेना की राजनीति का एजेंडा हुआ करता था और इसी के बलबूते वह राज्य की सत्ता पर काबिज हुई है। मनसे ने शुक्रवार को ही साफ कर दिया था कि इस देश से बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को निकाला जाएगा। जबकि पहले शिवसेना ने कांग्रेस के दबाव में कहा कि घुसपैठियों को कानून के तहत देश से बाहर किया जाएगा।

लेकिन मनसे के ऐलान के बाद शिवसेना को लग रहा है कि उसकी राज्य में राजनीति खत्म हो सकती है। लिहाजा उसने केन्द्र सरकार को घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए समर्थन दिया है। लिहाजा अब शिवसेना के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। अगर शिवसेना भाजपा का साथ नहीं देती है तो राज्य में उसका जनाधार कम होगा वहीं अगर वह कांग्रेस को नाराज करती है तो राज्य सरकार पर खतरा मंडरा सकता है।
 

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