प्रवर्तन निदेशालय ने राघव बहल के खिलाफ काला धन शोधन का मामला दर्ज किया

By Team MyNation  |  First Published Jun 7, 2019, 7:26 PM IST

आयकर विभाग ने पिछले साल 11 अक्टूबर को बहल के घर की तलाशी ली थी। आईटी विभाग के अधिकारियों ने सुबह-सुबह दिल्ली के बगल में नोएडा स्थित बहल के निवास पर छापा मारा था और मामले की जांच से जुड़े दस्तावेजों और दूसरे सबूत तलाश किए थे। 

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मीडिया जगत के बड़े नाम और द क्विंट के संस्थापक राघव बहल के खिलाफ कालाधन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।

पिछले साल अक्टूबर में उनके घर और अन्य संबंधित स्थानों पर छापा मारने के बाद कथित कर चोरी से संबंधित एक मामले में आयकर विभाग की जांच के आधार पर मामला दर्ज किया गया था।

आईटी विभाग ने पिछले साल 11 अक्टूबर को बहल के घर की तलाशी ली थी। आईटी विभाग के अधिकारियों ने सुबह-सुबह दिल्ली के बगल में नोएडा स्थित बहल के निवास पर छापा मारा था और मामले की जांच से जुड़े दस्तावेजों और दूसरे सबूतों को तलाश किया था। 

पीएमसी फिनकॉर्प के प्रमोटर ने टैक्स अधिकारियों के सामने शपथ लेकर आरोप लगाया कि बहल ने अपनी फर्जी कंपनी का इस्तेमाल करके कालाधन सफेद किया और कर से बचने की कोशिश की। ने शपथ के तहत कर अधिकारियों को भर्ती कराया।

इससे पहले, माय नेशन के हाथ राजकुमार मोदी की गवाही के ऐसे दस्तावेज लगे थे, जिसमें यह स्वीकारोक्ति की गई थी कि उसने बहल और उनकी पत्नी रितु कपूर के लिए काले धन को सफेद करने का काम किया था।

मोदी ने पीएमसी फिनकॉर्प के जरिए बहल और उनकी पत्नी का नाम कई दूसरे लोगों के साथ लिया था। जिसमें इन लोगों को अपने मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन के प्रमुख लाभार्थियों के रूप में बताया गया। मोदी ने अपने बयान में कहा, "जहां तक मुझे याद है, रितु कपूर और राघव बहल ने 100 करोड़ रुपयों का कालाधन शोधित किया।"

मोदी की गवाही से राघव बहल का यह दावा खारिज होता है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनपर पड़े आयकर के छापे आधारहीन हैं और  बीजेपी सरकार की आलोचना करने की वजह से उनपर यह कार्रवाई की गई। 
पीएमसी फिनकॉर्प एक फर्जी कंपनी है जिसका जमीनी स्तर पर कोई अस्तित्व नहीं है। इसका इस्तेमाल सिर्फ कालाधन शोधन के लिए किया गया। 
बहल की सफाई 
बहल ने नव-नियुक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक करते हुए अपना पक्ष रखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि ईडी की कार्रवाई - ईसीआईआर का पंजीकरण, आईटी विभाग द्वारा दायर अभियोजन शिकायतों के आधार पर पीएमएलए के तहत एक एफआईआर के बराबर है। 

उन्होंने कहा कि उन्हें ईमानदारी से सभी करों का भुगतान करने के बावजूद "निशाना बनाया" जा रहा है। उन्होंने कहा कि आईटी विभाग ने उनके प्रश्नों पर अपने जवाब नहीं दिए, जबकि "दो शिकायतें 3 मई, 2019 को मेरठ की एक अदालत के समक्ष दर्ज की गईं। बहल ने इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया। 

बहल ने 25 मई, 2019 को आईटी विभाग से जवाब मिलने के बाद अपने पत्र में लिखा है कि ‘मेरे रिटर्न में मेरे और मेरी पत्नी द्वारा किए गए पूर्ण खुलासे के प्रकाश में, जो नोटिस में कानूनी मुद्दों को संबोधित करते हैं, मैंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका में कारण बताओ नोटिस और बाद के कृत्यों को चुनौती दी है, जो इस मामले की सुनवाई करेंगे’। 
 

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