दिवाली से पहले लक्ष्मणनगरी में जुटेंगे माटी के फनकार

By Team MyNation  |  First Published Oct 29, 2020, 2:21 PM IST

बदले वैश्विक परिदृश्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है कि इस बार की दीवाली में कुछ ऐसा किया जाय कि चीन से आयातित लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों और डिजाइनर दीयों की बजाय अपने यहां के बने ये उत्पाद ही अधिक से अधिक बिकें। इसमें सबसे बड़ी चुनौती उत्पादों की फीनिशिंग और दाम को लेकर थी। 

लखनऊ। दीपावली के ठीक पहले नवाबों के शहर लखनऊ में होगा अपने हुनर से माटी में जान डालने वाले कलाकारों का जमावड़ा। चार से 13 नवंबर तक यहां डॉलीबाग स्थित खादी भवन के परिसर में उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड की ओर से मेले का आयोजन होगा। इसमें 15 जिलों के माटी कलाकार अपने उत्पादों के पूरे रेंज के साथ आएंगे। हर जिले के उत्पादों के डिस्पले के लिए दो-दो स्टॉल उपलब्ध कराए जाएंगे। इन स्टॉलों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यही नहीं 10 दिन के रहने का खर्च भी माटी कला बोर्ड ही वहन करेगा।

माटी कला मेले में गोरखपुर के टेरोकोटा, आजमढ़ की ब्लैक पॉटरी और खुर्जा के मिट्टी के कूकर और कड़ाही के साथ और आगरा, लखनऊ, कुशीनगर, मिर्जापुर, आजमगढ़, चंदौली, उन्नाव, बलिया, कानपुर, पीलीभीत, इलाहाबाद, वाराणसी, बादां और अयोध्या के मिट्टी के बने खास उत्पाद अपने पूरें रेंज में उपब्ध होंगे। दीवाली के पहले हो रहे इस मेले में स्वाभाविक है कि लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियां और डिजाइनर दीए खास आकर्षण होंगे। वह भी अपनी माटी के और अपनी परंपरा के अनुसार बने। मेले में सिर्फ संबंधित जिले के उत्पादों की भरपूर रेंज ही नहीं होगी, बल्कि किस तरह उनको बनाया जाता है उसका जीवंत प्रदर्शन होगा। आधुिनक चाक पर अलग-अलग जिलों के कलाकारों को ऐसा करने का मौका दिया जाएगा।

बदले वैश्विक परिदृश्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है कि इस बार की दीवाली में कुछ ऐसा किया जाय कि चीन से आयातित लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों और डिजाइनर दीयों की बजाय अपने यहां के बने ये उत्पाद ही अधिक से अधिक बिकें। इसमें सबसे बड़ी चुनौती उत्पादों की फीनिशिंग और दाम को लेकर थी। इसके लिए बोर्ड ने इनको बनाने वालों के लिए प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित किये। उनकी मांग के अनुसाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के अलग-अलग साइज के मॉडल तैयार किये गये। इन मॉडलों को सांचे में ढालने के लिए कोलकाता से सबसे बेहतरीन किस्म की प्सास्टर ऑफ पेरिस की डाई, रंग चढ़ाने के लिए स्प्रे पेंटिंग मशीन और दीया बनाने की मशीन उपलब्ध कराई गयी। इनसे इस पेशे से जुड़े लोगों को क्या लाभ हुआ, माटी कला मेला इसका सबूत होगा।

अपर मुख्य सचिव उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड नवनीत सहगल ने कहा कि मिट्टी के उत्पाद तैयार करने वाले इस पेशे से जुड़े परंपरागत लोगों का जीवन बेहतर हो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है। उनके निर्देश और मार्गदर्शन के क्रम में माटी कला बोर्ड लगातार इनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, गुणवत्ता में इनको बेहतर बनाकर बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रहा है। इस क्रम में इनको प्रोफेशनल लोगों और निफ्ड जैसी संस्थाओं से जोड़कर प्रशिक्षण, प्रशिक्षण के बाद उन्नत किस्म के टूल किट, बिजली चालित चाक, पग मिल और तैयार माल समान रूप से शीघ्र पककर तैयार हो, इसके लिए आधुनिक भट्ठी भी उपलब्ध कराई गई।
 

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