लगातार पांचवे दिन भी थमी हुई है मुंबई की लाइफलाइन

By Team MyNationFirst Published Jan 12, 2019, 4:11 PM IST
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मुंबई में बेस्ट बसों की हड़ताल लगातार पांचवे दिन भी जारी रही। जिसकी वजह से मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली बसें थमी रहीं। हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस दिए जाने की वजह से मामला और बिगड़ता जा रहा है। 

मायानगरी मुंबई की चाल थम गई है क्योंकि मुंबई की बस सर्विस बेस्ट के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। 

राज्य प्रशासन ने हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है और उनपर मेस्मा लगाया है। जिसेस नाराज होकर उनके परिजन भी सड़क पर उतर आए हैं। अभी तक 358 कर्मचारियों पर मेस्मा लगाया गया और 333 को अवमानना का नोटिस दिया गया। 

बेस्ट की हड़ताल को लेकर सरकार बेहद चिंता है। यात्रियों को राहत पहुंचाने के लिए प्राइवेट बस ऑपरेटरों की लगभग 2000 बसें काम पर लगाई गई हैं। 

हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि 'घाटे में चल रही बेस्ट को सरकार से आर्थिक मदद लेने की नौबत नहीं आएगी, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका खुद सक्षम है, लेकिन बीएमसी की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकार निश्चित ही इस मामले में दखल देगी।' 

हड़ताल के कारण, शुक्रवार को सिर्फ 4 बस ड्राइवर ही काम पर आए, जबकि कोई भी कंडक्टर ड्यूटी पर नहीं आया। 

हड़ताली कर्मचारियों के नेताओं का कहना है कि बेस्ट को बीएमसी बजट में शामिल करने का प्रस्ताव मुख्य मुद्दा है, इस पर जब तक लिखित में जवाब नहीं मिलेगा, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास नहीं जाएंगे। मुख्यमंत्री यदि समाधान निकालते हैं, तो उनका स्वागत है। 

मुंबई में बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात (बेस्ट) के 33,000 से अधिक कर्मी अपनी कई मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। बेस्ट प्रशासन और एक औद्योगिक अदालत ने हड़ताल को अवैध घोषित किया था। इसके बावजूद कर्मचारी संघ के नेताओं के आह्वान पर कर्मियों ने 27 डिपो में से एक भी बस नहीं निकाली।बेस्ट के पास लाल रंग की 3,200 से अधिक बसें हैं जो शहर के अलावा निकटवर्ती ठाणे जिले और नवी मुंबई में सेवाएं देती हैं।

मुम्बई में लोकल ट्रेन के बाद यातायात का सबसे बड़ा साधन बेस्ट बसें है। इन बसों से लगभग 80 लाख यात्री रोजाना यात्रा करते हैं। बेस्ट के कर्मचारी उच्च वेतन, घाटे में चल रही बेस्ट का बजट बृहन्मुंबई महानगर पालिका में जोड़े जाने और नए भत्ते समझौते पर विचार-विमर्श सहित अनेक मांगें कर रहे हैं।
 

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