मसूद अजहर पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, चीन ने प्रतिबंध को न रोकने के संकेत दिए

By Team MyNationFirst Published Apr 30, 2019, 5:16 PM IST
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 पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को वैश्विक आतंकी की सूची में डालना मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत होगी। अभी तक चीन संयुक्त राष्ट्र में इन कोशिशों पर वीटो करता रहा है। 
 

पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मोस्ट वांटेड सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रयासों पर लगाई तकनीक रोक हटाने के संकेत दिए हैं।

माना जा रहा है कि मसूद अजहर का नाम इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन पहली मई को अपना रुख बदल सकता है। इसे भारत के साथ-साथ अमेरिका और रूस के दबाव का नतीजा माना जा रहा है। 

दरअसल, पहली मई को संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर होने वाली सुनवाई से पहले चीन ने कहा है कि यह मामला 'उचित तरीके से हल' होगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद यह बात कही है। चीन ने मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय बैन की कोशिशों को मार्च में तकनीकी आधार पर रोक दिया था। चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, 'मेरा मानना है कि यह मुद्दा उचित तरीके से हल हो जाएगा।' 

चीन ने मसूद के मामले में अब नरमी दिखाते हुए कहा है, 'हम इस पर कई बार अपनी स्थिति साफ कर चुके हैं।' जेंग शुआंग ने कहा, 'मैं सिर्फ दो बिंदुओं पर जोर देना चाहता हूं। पहला यह कि इस पर अधिकतम सदस्यों की सहमति और संवाद के साथ ही आगे बढ़ा जा सकता है।' दूसरा, इस मसले को लेकर बातचीत चल रही है और कुछ प्रगति हुई है। हमें विश्वास है कि सभी पक्षों की सहमति से इस पर आगे बढ़ा जा सकता है। 

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध कमेटी में फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया प्रस्ताव लेकर आए थे। चीन ने इस प्रस्ताव पर 'तकनीकी रोक' लगा दी थी। इसके बाद अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को काली सूची में डालने के लिए प्रस्ताव लेकर आया। मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में 4 कोशिशें हो चुकी हैं। चीन ने इनमें से तीन पर सीधे रोक लगाई जबकि पुलवामा हमले के बाद हुई चौथी कोशिश को तकनीकी आधार पर रोक दिया। 

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