जैश-ए-मोहम्मद 2001 से ही संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में शामिल है, लेकिन उसका सरगना मसूद अजहर वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल नहीं है। अमेरिकी प्रस्ताव के मसौदे में मसूद अजहर पर आतंकवादी फंडिंग में शामिल होने, आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका ने कमर कस ली है। मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में डालने के लिए अमेरिका की कोशिशों के बाद चीन से उसका टकराव बढ़ने की आशंका है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव का मसौदा पेश किया है।
खास बात यह है कि जैश-ए-मोहम्मद 2001 से ही संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में शामिल है, लेकिन उसका सरगना मसूद अजहर वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल नहीं है। अमेरिकी प्रस्ताव के मसौदे में मसूद अजहर पर आतंकवादी फंडिंग में शामिल होने, आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन लंबे समय से मसूद अजहर की ढाल बना हुआ है। इसी महीने मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को चीन ने प्रतिबंध समिति में अटका दिया था। अब अमेरिका ने अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए सीधे सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाने का फैसला किया है।
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अमेरिका के प्रस्ताव को फ्रांस और ब्रिटेन का समर्थन हासिल है। दोनों देशों ने अजहर के खिलाफ अल-कायदा एवं इस्लामिक स्टेट कमिटी में प्रतिबंध के प्रस्ताव पर अमेरिका का साथ दिया था।
प्रस्ताव के मसौदे में पुलवामा आत्मघाती हमले की आलोचना करते हुए अजहर को अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों की प्रतिबंधित सूची में डालने की मांग की गई है। अगर संयुक्त राष्ट्र जैश सरगना पर प्रतिबंध लगाता है तो उसकी विदेश यात्राओं पर रोक लग जाएगा और अजहर की संपत्तियां भी जब्त की जा सकेंगी।
अभी यह साफ नहीं है कि मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग कब होगी। माना जा रहा है कि चीन पिछली बार की तरह फिर इस पर वीटो कर सकता है। ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और रूस के साथ-साथ चीन सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में शामिल है। इन सभी देशों के पास वीटो का अधिकार है।
मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में 4 कोशिशें हो चुकी हैं। चीन ने इनमें से तीन पर सीधे रोक लगाई जबकि पुलवामा हमले के बाद हुई चौथी कोशिश को तकनीकी आधार पर रोक दिया। यह यह प्रस्ताव 9 महीने के लिए थम गया है।
Last Updated Mar 28, 2019, 11:00 AM IST