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'मिशन कोलकाता' के लिए भाजपा का बड़ा दांव, अपना ‘साइलेंट’ रणनीतिकार उतारा

Anindya Banerjee |  
Published : Apr 25, 2019, 05:42 PM ISTUpdated : Apr 25, 2019, 06:24 PM IST
'मिशन कोलकाता' के लिए भाजपा का बड़ा दांव, अपना ‘साइलेंट’ रणनीतिकार उतारा

सार

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खास रणनीति के तहत बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव के लिए कोलकाता में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर उतारा है। 

बंगाल में सियासी रणनीति से चौंकाने की कोशिशों में जुटी भाजपा ने मिशन कोलकाता के लिए अपने ‘साइलेंट’ रणनीतिकार को मैदान में उतार दिया है। त्रिपुरा में लेफ्ट के लाल रंग से भगवा रंग में रंगने वाले सुनील देवधर को खास जिम्मेदारी के साथ कोलकाता भेजा गया है। त्रिपुरा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत और दो दशक से ज्यादा समय से चली आ रही लेफ्ट की माणिक सरकार को ध्वस्त करने का श्रेय सुनील देवधर के रणनीतिक कौशल को जाता है। 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खास रणनीति के तहत बंगाल में अंतिम चरण में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर उतारा है। ‘माय नेशन’ को विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अमित शाह ने देवधर को बंगाल में अंतिम चरण पर फोकस करने को कहा है। उस समय कोलकाता में चुनाव होना है। देवधर कोलकाता पहुंच गए हैं और अंतिम चरण के लिए खास रणनीति तैयार कर करहे हैं ताकि टीएमसी को चौंकाया जा सके। 

कोलकाता ही क्यों?

सुनील देवधर से जुड़े सूत्रों के अनुसार पहले उन्हें पूरे बंगाल के चुनाव में शामिल करने पर विचार चल रहा था। लेकिन तीन चरण का चुनाव हो चुका है और ऐसे में उनके पास राज्य की शेष बची सीटों के लिए रणनीति तैयार करने का समय नहीं है। पार्टी हाईकमान चाहते हैं कि फिलहाल देवधर अपना ‘जादू’ कोलकाता में दिखाएं। कोलकाता में 19 मई को चुनाव होना है और उसके लिए रणनीति बनाने और धरातल पर उतारने का देवधर के पास पर्याप्त समय है। 

देवधर को कोलकाता की ही जिम्मेदारी देने के पीछे बड़ा कारण यह है कि कोलकाता शहर में लोगों का अब भी टीएमसी की तरफ झुकाव है। जबकि बंगाल के ग्रामीण इलाकों, पुरुलिया अथवा बांकुरा के दूरदराज के इलाकों में भगवा उभार साफ देखा जा सकता है। भाजपा के अंदरूनी सर्वे में भी कोलकाता को लेकर बहुत उम्मीद नहीं दिख रही है। हालांकि पूरे बंगाल में पार्टी 15 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है। सुनील देवधर को अगले एक महीने में कोलकाता के मतदाताओं को भाजपा के पाले में लाने का चमत्कार करके दिखाना है। 

सुनील देवधर ही क्यों? 

जब सुनील देवधर को त्रिपुरा में कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गई थी तो भाजपा को बाहरी दल माना जाता था। उस समय भगवा पार्टी का लाल गढ़ में वोट प्रतिशत महज 1.5 प्रतिशत था। इसके बाद देवधर ने जमीनी स्तर पर जबरदस्त मेहनत की और साल 2018 में राज्य में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिला दी। अब जबकि कोलकाता में चुनाव के लिए एक महीने से कम का समय बचा है, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने देवधर को ‘त्रिपुरा मैजिक’ दोहराने की जिम्मेदारी दी है। 

53 साल के संघ के पूर्व प्रचार को इस काम के लिए चुनने का सबसे बड़ा कारण उनका बंगाली संस्कृति से परिचित होना है। त्रिपुरा बंगाली भाषी बहुल राज्य था। वहां रहने के दौरान देवधर बांग्ला सीखी। बांग्ला भाषा में धारा प्रवाह बोलने की काबिलियत उनके लिए मददगार साबित हो सकती है। त्रिपुरा को जीतने के लिए देवधर कितने आतुर थे उसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि उन्होंने अपनी खाने की आदत भी बदल ली थी। वहां रहने के दौरान उन्होंने मछली खाना शुरू किया।  बंगाल में मछली का भोजन एक संस्कृति है। अब वह बंगाल की संस्कृति से पूरी तरह परिचित हैं। 

बताया जाता है कि तीन साल पहले देवधर ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कहा था कि ‘मैं रहूं या न रहूं, त्रिपुरा आपको जरूर मिलेगा।’ 
 

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