पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल खंडपीठ के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। जिसमे सिंगल बेंच ने भाजपा को रथयात्रा निकलने की अनुमति दी थी, जिसके बाद ममता सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी थी। जिसपर सुनवाई के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देबाशीष कारगुप्ता और जस्टिस शंपा सरकार की बेंच ने केस को सिंगल बेंच के पास यह कहते हुए वापस भेज दिया था कि वह राज्य सरकार की एजेंसियों के इनपुट को ध्यान में रखते हुए दोबारा याचिका पर विचार करे।
पश्चिम बंगाल भाजपा ने अपनी प्रस्तावित रथयात्रा पर कलकत्ता हाई कोर्ट की रोक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। भाजपा ने रथयात्रा को लेकर डिविजन बेंच के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दिया था। जिसके खिलाफ बीजेपी सुप्रीम कोर्ट पहुची है।
इस मामले में जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई होने की उम्मीद है।क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल छुट्टियां चल रही हैं। वहीं ममता सरकार ने इस मामले में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर कर रखा है।
बतादें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल खंडपीठ के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। जिसमे सिंगल बेंच ने भाजपा को रथयात्रा निकलने की अनुमति दी थी, जिसके बाद ममता सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी थी। जिसपर सुनवाई के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देबाशीष कारगुप्ता और जस्टिस शंपा सरकार की बेंच ने केस को सिंगल बेंच के पास यह कहते हुए वापस भेज दिया था कि वह राज्य सरकार की एजेंसियों के इनपुट को ध्यान में रखते हुए दोबारा याचिका पर विचार करे।
ज्ञात हो कि ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में साम्प्रदायिक शांति बनाये रखने का हवाला देते हुए राज्य में बीजेपी की गणतंत्र रथयात्रा को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जिसके खिलाफ बीजेपी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर सुनवाई के बाद एकल पीठ ने रथयात्रा की मंजूरी दे दी थी।
गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को उत्तर बंगाल के कूचबेहार से इस यात्रा को सात दिसंबर को हरी झंडी दिखानी थी। पहले के कार्यक्रम के मुताबिक बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के तीन रथ यात्राओं की योजना बनाई थी जो पूरे राज्य की यात्रा के बाद कोलकत्ता में समाप्त होनी थी।