राज्य होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने पांच दिसंबर की तिथि तय की है। अब ये पूर्व विधायक भाजपा में शामिल होंगे। इससे राज्य में भाजपा की ताकत भी बढ़ेगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को राहत दी है। क्योंकि पहले कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा रखी थी। जिसके बाद इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बेंगलुरु। कर्नाटक में भाजपा को राजनैतिक तौर पर बड़ी ताकत मिली है। अयोग्य करार दिए गए विधायकों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए उनके चुनाव लड़ने पर लगाई गई रोक को हटा दिया। अब ये 17 विधायक भाजपा में शामिल होंगे और राज्य में होने वाले उपचुनाव में हिस्सा लेंगे। लेकिन ये उपचुनाव भाजपा के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है। क्योंकि इसके बाद भाजपा को राज्य में सरकार चलाने के लिए छह विधायकों की और जरूरत होगी।
राज्य होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने पांच दिसंबर की तिथि तय की है। अब ये पूर्व विधायक भाजपा में शामिल होंगे। इससे राज्य में भाजपा की ताकत भी बढ़ेगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को राहत दी है। क्योंकि पहले कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा रखी थी। जिसके बाद इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन अब कोर्ट से इन विधायकों को राहत मिल गई है और ये सभी भाजपा में शामिल होंगे। जिसके बाद ये भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ेगे। फिलहाल इन विधायकों ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से मिलकर पार्टी में शामिल होने की इच्छा जाहिर की। लिहाजा आज ये विधायक भाजपा का दामन थामेंगे।
हालांकि चुनाव के बाद राज्य में भाजपा के लिए मुश्किलें हो सकती हैं। क्योंकि सरकार बचाने के लिए भाजपा को कम से कम छह अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होगी। अगर कहीं कांग्रेस और जेडीएस ने संयुक्त प्रत्याशी उतारे तो भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। हालांकि राज्य के सीएम बीएस येदियुरप्पा का दावा है कि भाजपा उपचुनाव में सभी सीटें जीतेगी। गौरतलब है कि जुलाई में भाजपा में सरकार बनाई है। जबकि इससे पहले राज्य में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार चल रही थी। लेकिन इसी बीच राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों को अयोग्य करार दिया था।