शिवसेना को मिलेगी बैसाखी वाली सीएम की कुर्सी, खत्म हो जाएगी हिंदूत्व की राजनीति!

By Team MyNation  |  First Published Nov 14, 2019, 9:50 AM IST

महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में शिवसेना की सरकार बन जाएगी। अभी तक शिवसेना राज्य में केवल भाजपा के साथ सरकार में थी। लेकिन अब उसे दो अन्य दलों के साथ सरकार बनानी होगी। जबकि ये दल शिवसेना से वैचारिक तौर पर मेल नहीं खाते हैं। शिवसेना महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश में भी कट्टर हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती है जबकि कांग्रेस और एनसीपी खुद को सेक्युलर दल मानते हैं।

नई दिल्ली। जिस कट्टर हिंदुत्व के लिए शिवसेना न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में जानी जाती थी। अब उसकी वही राजनीति महाराष्ट्र में खत्म हो जाएगी। जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। वहीं दो दल कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने के बाद शिवसेना को सीएम की कुर्सी तो मिलेगी। लेकिन अहम विभाग उसके हाथ में नहीं होंगे। वहीं शिवसेना के कमजोर होने के फायदा इन दोनों दलों को होगा। जिसके जरिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को राज्य में स्थापित कर सकेंगे।

महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में शिवसेना की सरकार बन जाएगी। अभी तक शिवसेना राज्य में केवल भाजपा के साथ सरकार में थी। लेकिन अब उसे दो अन्य दलों के साथ सरकार बनानी होगी। जबकि ये दल शिवसेना से वैचारिक तौर पर मेल नहीं खाते हैं। शिवसेना महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश में भी कट्टर हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती है जबकि कांग्रेस और एनसीपी खुद को सेक्युलर दल मानते हैं। लेकिन राज्य में बनने वाली शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार में शिवसेना को मिलने वाला सीएम का पद किसी कांटों के ताज से कम नहीं है।

क्योंकि कांग्रेस राज्य में अल्पसंख्यकों की राजनीति करती है। जबकि शिवसेना उसका विरोध करती आई है। लिहाजा इस मामले में तो दोनों दलों के बीच तकरार होना तय है। वहीं शिवसेना को विभिन्न दलों के साथ सरकार चलाने का अनुभव भी नहीं है। जिसके कारण उसे सबको साथ लेकर चलना आसान नहीं है। वहीं माना जा रहा है कि सीएम का पद शिवसेना को मिलने के बाद अहम मंत्रालय कांग्रेस और एनसीपी के हाथ में ही रहेंगे। जिसके कारण राज्य में शिवसेना की धमक बी कम होगी। कहा जा रहा है कि गृह, कृषि, वित्त जैसे अहम मंत्रालय के अलावा विधानसभा के अध्यक्ष का पद भी कांग्रेस और एनसीपी के पास होगा। जिसके कारण कभी अविश्वास मत के दौरान कांग्रेस और एनसीपी अपनी रणनीति के तहत शिवसेना को झटका दे सकते हैं।

वहीं जिस शिवसेना को हिंदुत्व का चेहरा माना जाता है, उसे कांग्रेस के साथ जाकर रक्षात्मक रुख अपनाना होगा। जिसका सीधे तौर पर भाजपा को राज्य में फायदा होगा। अगर इस पूरे घटनाक्रम में देखें तो सबसे ज्यादा फायदा एनसीपी को हो रहा है। क्योंकि शरद पवार इसके जरिए राज्य में एक बार फिर एनसीपी को मजबूत कर रहे हैं। कांग्रेस और एनसीपी के साथ तय हुए नए फार्मूले में शिवसेना को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी। लिहाजा ये तो तय है कि ढाई साल के बाद राज्य की राजनीति में फिर बदलाव होगा। 

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