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अशोक गहलोत का सचिन पायलट पर वार, बताया बेटे की हार के लिए जिम्मेदार

Published : Jun 04, 2019, 01:29 PM IST
अशोक गहलोत का सचिन पायलट पर वार, बताया बेटे की हार के लिए जिम्मेदार

सार

ठेस के चलते अशोक गहलोत ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि वैभव गहलोत की हार के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट जोधपुर की सीट से पांच बार लोकसभा के लिए चुने गए। लिहाजा इन चुनावों में वैभव की करारी हार के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।  

कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह पूरी तरह खुल कर सामने आ चुकी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल में हुए लोकसभा चुनावों में बेटे वैभव गहलोत की हार के लिए खुलकर कांग्रेस नेता सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया है। 

लोकसभा चुनावों में वैभव ने जोधपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। भारतीय जनता पार्टी के गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दो लाख से अधिक वोटों से वैभव को करारी हार दी थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी को राज्य में किसी भी लोकसभा सीट पर जीत का स्वाद चखने को नहीं मिला। लेकिन गहलोत को कांग्रेस के गढ़ में बेटे की हार से तगड़ी ठेस पहुंची है। वहीं दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्तारूढ भाजपा को बाहर किया और सरकार बनाई थी।

इसी ठेस के चलते अशोक गहलोत ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि वैभव गहलोत की हार के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट जोधपुर की सीट से पांच बार लोकसभा के लिए चुने गए। लिहाजा इन चुनावों में वैभव की करारी हार के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
 
इससे पहले राज्य में कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा के दौरान कई कांग्रेसी नेताओं ने गहलोत पर आरोप मढ़ा था कि मुख्यमंत्री ने अपने बेटे के चुनाव क्षेत्र को छोड़कर राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर प्रचार के दौरान अनदेखी की। इसके चलते कांग्रेस को कुछ महीने पहले मिली जीत लोकसभा चुनावों में हार में बदल गई।

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही कांग्रेस पार्टी अंदरूनी कलह के दौर से गुजर रही है। 2014 लोकसभा चुनावों में 44 सीटें जीतने के बाद 2019 में महज 52 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद पार्टी नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। इन सवालों के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा देते हुए पार्टी कार्यकारिणी से गैर-गांधी अध्यक्ष चुनने की पेशकश की थी। हालांकि कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे को सिरे से खारिज कर दिया था।
 

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