मजहबी कट्टरता खत्म करके मरने के बाद मोहम्मद अली का शरीर किया गया अस्पताल में दान

By Siddhartha Rai  |  First Published Dec 18, 2018, 4:39 PM IST

आम तौर पर मुस्लिम समुदाय में मृत्यु के बाद अंगदान करने के उदाहरण नहीं मिलते हैं। माना जाता है कि उनकी धार्मिक मान्यताएं इसमें आड़े आती हैं। लेकिन ग्रेटर नोएडा के एक मुस्लिम परिवार ने मजहब के उपर इंसानियत को मानते हुए अपने परिवार के एक बुजुर्ग का शरीर मेडिकल कॉलेज के लिए दान कर दिया। यह पवित्र कार्य दधिचि देहदान समिति ने करवाया। जिसके संरक्षक आलोक कुमार विश्व हिंदू परिषद् के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 

ग्रेटर नोएडा में संस्कृति विहार, गौर सिटी 2 के रहने वाले मोहम्मद अली इस्माइल मुल्कियानी ने अपना शरीर मृत्यु के बाद मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए दान कर दिया। 
अली इस्माइल अपने भांजे मयूर भमानी के साथ उनके ग्रेटर नोएडा स्थित आवास पर रह रहे थे। उनका जन्म 9 दिसंबर 1943 को हुआ था। वह भुवन कॉलेज मुंबई में क्लर्क पद से रिटायर हुए थे।

मोहम्मद अली के देहदान का संकल्प दधिचि देहदान समिति के माध्यम से संभव हो पाया। यह समिति पिछले 21 सालों से समाज में देहदान और अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित करने का कार्य कर रही है। 
समिति के सदस्यों ने बताया कि यह पहला मौका है जब एक मुस्लिम परिवार ने देहदान किया।  दधिचि देहदान समिति से प्रेरण लेकर अब तक 10000 से अधिक लोगों ने देहदान एवं अंगदान का संकल्प लिया है। 
यह समिति द्वारा अब तक 885 नेत्रदान एवं 232 देहदान करवा चुकी है। 
उम्मीद की जा रही है कि मोहम्मद अली इस्माइल का यह पवित्र कार्य दूसरे मुस्लिम परिवारों को भी देहदान के लिए प्रेरित करेगा। 
 

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