पीएम पर विवादित बयानबाजी पड़ेगी थरुर को महंगी

अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से करना महंगा पड़ सकता है। दिल्ली भाजपा के नेता राजीव बब्बर की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। 

Case against tharoor

प्रधानमंत्री के खिलाफ विवादित बयानबाजी करने के मामले में कोर्ट थरूर को समन जारी करने से पहले अदालत शिकायतकर्ता व भाजपा नेता राजीव बब्बर का बयान 22 दिसंबर को दर्ज करेगा।  थरूर के बयान के बाद दिल्ली भाजपा के नेता राजीव बब्बर ने इस संबंध में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आपराधिक मानहानि की शिकायत भी दर्ज कराई है।

 भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और धारा 500 के तहत दायर इस शिकायत में राजीव बब्बर ने कहा है कि थरूर ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने कहा है, ‘मैं भगवान शिव का भक्त हूं। आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए यह बयान दिया जो भारत तथा देश से बाहर सभी शिव भक्तों की भावनाओं को आहत करता है। आरोपी ने जानबूझ कर यह द्वेषपूर्ण काम किया जिसकी मंशा भगवान शिव के भक्तों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान कर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। 

बतादें कि बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान थरुर ने आरएसएस का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी। 

इतना ही नही एक अन्य कार्यक्रम के दौरान थरूर ने कहा कि एक सफेद घोड़े पर हाथ में तलवार लेकर बैठा हीरो जो कहता है कि मैं सारे जवाब जानता हूं। मोदी एक व्यक्ति की सरकार हैं और हर कोई उनके इशारे पर नाच रहा है। भारत में अभी इतिहास का सबसे केंद्रीकृत प्रधानमंत्री कार्यालय है जहां हर फैसला पीएमओ करता है और हर फाइल मंजूरी के लिए पीएमओ भेजी जाती है। 

शशि थरूर यही नही रुके उस बयान के कुछ ही दिन बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर तंज कसा है। एक औद्योगिक संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने पीएम मोदी को ‘एक सफेद घोड़े पर हाथ में तलवार लेकर बैठा हीरो’ करार दिया। 

थरूर अक्सर अपने विवादित बयान से जाने जाते है।भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती की पूर्व संध्या के एक कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता ने कहा था कि आज अगर एक 'चायवाला' देश का प्रधानमंत्री है, वो नेहरू के कारण ही हैं क्योंकि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने देश के संस्थानों को इतना मजूबत बनाया कि कोई भी व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने का सपना देख सकता है और वहां तक पहुंच सकता है।

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