मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक एवं पूर्व अंतिरम निदेशक नागेश्वर राव को अवमानना मामले में दोषी माना है। कोर्ट ने एक लाख का जुर्माना और जब तक कोर्ट चलेगी तब तक कोर्ट के पीछे की सीट पर बैठने का निर्देश दिया है।
यह फैसला देते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अपने 20 साल के कैरियर में किसी को अवमानना मामले में सजा नही सुनाया लेकिन यह मामला अलग है। सीजेआई ने यह भी कहा आपको अंदाजा है मैं एक महीने के लिए जेल भेज सकते है।
वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नागेश्वर राव के 32 साल के कैरियर का अच्छा ट्रेक रिकॉर्ड रहा है। कोर्ट को उनपर दया दिखानी चाहिए। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि राव अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं, परंतु ये उन्होंने जानबूझ कर नहीं किया। ये अनजाने में हो गया।
लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि अवमानना के आरोपी का बचाव सरकार के पैसे से क्यों ? नागेश्वर रॉव की ओर से दलील देने के लिए कौन सा वकील पेश हुआ है?
इसपर अटॉर्नी जनरल ने रहम की अपील करते हुए कहा कि राव ने जो किया वो गलती से हुआ, उसने जानबूझ कर नहीं किया। चीफ जस्टिस ने नाराज़गी जताई कहा कि नागेश्वर राव को सुप्रीमकोर्ट के पुराने आदेश का पता था तभी उन्होंने लीगल विभाग से राय माँगी और लीगल एडवाइज़र ने कहा था कि एके शर्मा का ट्रांसफ़र करने से पहले सुप्रीमकोर्ट में हलफ़नामा दायर कर इजाज़त माँगी जाए लेकिन ऐसा क्यूँ नहीं किया गया?
जिसपर अटार्नी जनरल ने कहा कि राव ने ग़लती स्वीकारी है उन्होंने माफ़ी माँगी है। सीजेआई ने कहा कि संतुष्ट हुए बग़ैर और कोर्ट से पूछे बग़ैर अधिकारी का रिलीव आर्डर साइन करते है ये अवमानना नही तो क्या है?
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि नागेश्वर राव ने आर के शर्मा को जांच से हटाने का फैसला लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताने की जरूरत तक नहीं समझी। उनका रवैया रहा है कि मुझे जो करना था कर दिया।
नागेश्वर राव ने एक दिन पहले ही कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि उन्हें अपनी गलती का अहसास है, और उनकी मंशा कोर्ट की अवहेलना करने की कतई नहीं थी। वह इसके बारे में सोच भी नही सकते है। वह कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगते हैं। उन्हें माफ कर दिया जाए। नागेश्वर राव के अलावा दूसरे अधिकारी एस भासुरन ने भी बिना शर्त माफी मांग ली थी।
दोनों ही अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय की अवमानना में 12 फरवरी को तलब किया था। कहा था कि किस परिस्थिति में उन्होंने जांच अधिकारी का ट्रांसफर किया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के बगैर अनुमति के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन शोषण मामले की जांच कर रहे अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई को चेतावनी देते हुए कोर्ट ने यहां तक कहा था कि कोर्ट के आदेश से कभी मत खेलना। मना करने के बावजूद एके शर्मा का कैसे ट्रांसफर कर दिया गया, कोर्ट का अवमानना मानते हुए तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को निजी तौर पर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था।
मालूम हो कि पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई निदेशक और स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना के बीच उपजे विवाद के बाद तत्कालीन संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतिरिम निदेशक बनाया गया था। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न मामले से संबंधित सभी 17 केस को दिल्ली के साकेत पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है।साथ ही कोर्ट के जज को आदेश दिया है कि दो हप्ते के भीत्तर ट्रायल शुरू करे और 6 महीने के भीत्तर इसे खत्म करे।
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ रेप का खुलासा होने के बाद ही राजनीतिक बहस तेज हो गई थी। इस कांड का खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट में हुआ। जब सरकार पर विपक्षी पार्टियों और लोगों का दबाव बढ़ा तो इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। पिछले दिनों मुजफ्फरपुर के बालिका गृह से 15 साल की बच्ची का भी कंकाल मिला है। जिससे मामला और गंभीर हो गया।