मायावती के करीबी नेतराम पर आईटी के बाद अब सीबीआई छापे, बढ़ेंगी माया की भी मुश्किलें

By Team MyNationFirst Published Jul 10, 2019, 8:48 AM IST
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सीबीआई ने मंगलवार को देशव्यापी छापे मारे हैं। इस बार निशाने पर भ्रष्ट नौकरशाह और सरकारी अफसर थे। जिनके बारे में सीबीआई के पास पुख्ता जानकारी थी। लिहाजा उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सीबीआई ने पूर्व आईएएस नेतराम और विनय प्रिय दुबे के घर और अन्य संपत्तियों पर छापा मारा। सीबीआई को इसमें कई अहम सुराग मिले हैं।

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के करीबी अफसर और पूर्व नौकरशाह नेतराम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ महीने पहले ही नेतराम पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में हुए चीनी मिल घोटाले में सीबीआई ने नेतराम और अन्य नौकरशाह के घरों पर छापे मारे हैं।

सीबीआई ने मंगलवार को देशव्यापी छापे मारे हैं। इस बार निशाने पर भ्रष्ट नौकरशाह और सरकारी अफसर थे। जिनके बारे में सीबीआई के पास पुख्ता जानकारी थी। लिहाजा उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सीबीआई ने पूर्व आईएएस नेतराम और विनय प्रिय दुबे के घर और अन्य संपत्तियों पर छापा मारा। सीबीआई को इसमें कई अहम सुराग मिले हैं।

सीबीआई ने पूर्व आईएएस नेतराम के गोमतीनगर विशाल खंड स्थित घर और अलीगंज में रिटायर्ड आईएएस विनय प्रिय दुबे के घर पर छापे मारे। नेतराम मायावती सरकार मे ताकतवर अफसरों में शुमार थे। वह प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री होने के साथ ही गन्ना और चीनी विकास के प्रमुख सचिव थे जबकि विनय प्रिय दुबे चीनी निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर थे।

मायावती के कार्यकाल के दौरान चीनी निगम की घाटे वाली चीनी मिलों को निजी क्षेत्र को औनेपौने दाम में बेच दिया गया। इसी मामले में सीबीआई ने कई अफसरों और नेतराम पर केस किया था। अभी इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

फिलहाल चीनी मिल घोटाले को लेकर ईडी भी जल्द ही अपना शिकंजा कसेगा। ईडी ने चीनी मिल घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जताई है। फिलहाल इस मामले में केस दर्ज करने के लिए दिल्ली मुख्यालय का इंतजार है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद लखनऊ ईडी केस दर्ज करेगी।

आयकर विभाग लोकसभा चुनाव से पहले नेतराम के लखनऊ, कोलकाता व दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर चुका है और यहां से बड़े पैमाने पर नगदी मिली थी। असल में राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद यूपी सरकार ने सीबीआई से इस मामले की जांच की सिफारिश की थी। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने केस दर्ज किया था। 

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