जर्नादन द्विवेदी अपनी उपेक्षा से हैं नाराज, इसलिए कर रहे हैं राहुल के जरिए विरोधियों पर वार

By Team MyNation  |  First Published Jul 10, 2019, 7:47 AM IST

जब से कांग्रेस में अहमद पटेल की ताकत बढ़नी शुरु हुई द्विवेदी गांधी परिवार से दूर होते गए। पिछले साल जब राहुल गांधी ने अहमद पटेल को पार्टी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया तभी से गांधी परिवार के करीबी खासतौर से सोनिया के करीबियों की उनसे दूरी बढ़ती चली गयी। राहुल गांधी के इस्तीफ के बाद अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल पार्टी में बगैर किसी समन्वय समिति के काम कर रहे हैं।

जर्नादन द्विवेदी कांग्रेस के उस वरिष्ठ नेता का नाम है जो कभी सोनिया गांधी के सबसे विश्वस्त और वफादारों में माने जाते थे। लेकिन आजकल हाशिए पर चल रहे हैं। जर्नादन द्विवेदी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने सोनिया गांधी को राजनीति के गुर सिखाए थे और अब यही दिग्गज नेता पार्टी में अलग-थलक पड़ गया है। फिलहाल द्विवेदी ने राहुल गांधी के इस्तीफे जरिए अपने विरोधियों पर वार किया है।

असल में कहानी भी दिलचस्प है। जब से कांग्रेस में अहमद पटेल की ताकत बढ़नी शुरु हुई द्विवेदी गांधी परिवार से दूर होते गए। पिछले साल जब राहुल गांधी ने अहमद पटेल को पार्टी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया तभी से गांधी परिवार के करीबी खासतौर से सोनिया के करीबियों की उनसे दूरी बढ़ती चली गयी।

राहुल गांधी के इस्तीफ के बाद अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल पार्टी में बगैर किसी समन्वय समिति के काम कर रहे हैं। लिहाजा द्विवेदी ने सवाल उठाकर इन नेताओं पर वार किया है। कांग्रेस के अंदरखाने वरिष्ठ नेता ये मानते हैं कि राजनीति में सोनिया गांधी को गुर सिखाने वाले जर्नादन ही थे।

लिहाजा राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद द्विवेदी का दर्द निकल आया। उन्होंने एक तरह से परोक्ष तौर पर कांग्रेस के नीति निर्धारकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कई सलाह पार्टी को दी थी। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने नहीं सुनी और इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। द्विवेदी ने कहा कि हार के कारण बाहर नहीं बल्कि पार्टी भीतर हैं।

कर्ण सिहं के बाद द्विवेदी दूसरे ऐसे नेता हैं तो जो राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने सवर्ण आरक्षण पर अपनी राय दी थी,लेकिन पार्टी के खुलेतौर पर स्टैंड न लेने के कारण इसका खामियाजाज भुगतना पड़ा।

असल में द्विवेदी कांग्रेस पार्टी के पांच अध्यक्ष और चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। लिहाजा उनका राजनैतिक अनुभव बहुत सारे नीति निर्धारकों से ज्यादा है। द्विवेदी ने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी के कई नेता कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

फिलहाल वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह के बाद जनार्दन द्विवेदी ने समन्वय और सहमति बनाने की मौजूदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि द्विवेदी ने अपने बयानों से राहुल गांधी की तारीफ करते हुए अपने विरोधियों पर भी सवाल उठाए। अभी तक कांग्रेस में कई महासचिवों ने इस्तीफे नहीं दिए हैं।

कहा जाता है कि किसी दौर में द्विवेदी की 24 अकबर रोड में तूती बोलती थी। उनकी पार्टी के भीतर गिनती प्रभावशाली नेताओं में होती थी। असल में द्विवेदी का इशारा अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और मुकुल वासनिक जैसे सरीखे नेताओं की तरफ है।

जो राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद लगातार बैठकें कर रहे हैं और समन्वय समिति की बात कर रहे हैं। लिहाजा द्विवेदी ने इन समितियों पर ही सवाल उठा दिए हैं। जनार्दन द्विवेदी का कहना है कि कार्यसमिति की बैठक जल्द बुलाई जानी चाहिए और इसमें इस्तीफे को मंजूर कर आगे की रणनीति बनाई जानी चाहिए।

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