गंभीर आरोपों के बावजूद वर्मा ने अपने 'खास' को पहुंचाया ईडी, मोइन कुरैशी मामले के जांचकर्ता हैं मलिक

By ankur sharma  |  First Published Nov 19, 2018, 1:30 PM IST

जमीन पर कब्जे के मामले में विजिलेंस ने मलिक के खिलाफ की थी कड़ी कार्रवाई की सिफारिश, तत्कालीन कमिश्नर आलोक वर्मा ने रोक दी थी विभागीय जांच। 

कहा जाता है कि अगर आप पुलिस सेवा में हैं तो आपको एक गॉडफादर की जरूरत होती है, जो बुरे वक्त में आपकी मदद कर सके। प्रवर्तन निदेशालय में अधिकारी नरेश मलिक के मामले में भी ऐसा ही है। जबरन छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के प्रमुख आलोक वर्मा की कुछ ऐसी ही भूमिका सामने आई है। मलिक को एक मामले में दोषी पाने के बाद विजिलेंस विभाग ने उनके खिलाफ 'कड़ी कार्रवाई' की सिफारिश की थी। लेकिन इसे अनदेखा करते हुए दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर वर्मा ने उनकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में प्रतिनियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया।  

यही नहीं, मलिक को अगस्ता वेस्टलैंड केस और मोइन कुरैशी प्रकरण समेत सभी हाईप्रोफाइल केस की जांच भी सौंपी गई। मोइन कुरैशी मामला ही आलोक वर्मा और उनके डेप्यूटी राकेश अस्थाना के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह है, जिसने सीबीआई को अब तक के सबसे बड़े विवाद में धकेल दिया है। आलोक वर्मा ने अपने खास मलिक को ईडी में पहुंचाने के लिए क्लीनचिट देकर अंतिम बाधाओं को दूर किया। 

मलिक का सीबीआई के झगड़े से क्या है लिंक?

सतीश सना का नाम सबसे पहले मोइन कुरैशी के खिलाफ दर्ज शिकायत की जांच के दौरान आया। सना से ईडी ने 4 अक्टूबर को पूछताछ की थी। आलोक वर्मा के खास मलिक इस मामले की जांच कर रहे थे और उन्होंने ही सना से पूछताछ की थी। इसके बाद सना ने पहली बार राकेश अस्थाना का नाम लिया था। 

यह भी दिलचस्प है कि ईडी के पूर्व अधिकारी करनैल सिंह भी मलिक से खुश थे। उन्होंने कभी भी मलिक की 'ईमानदारी' पर संदेह नहीं किया। जब करनैल सिंह दिल्ली पुलिस में थे तब मलिक उनकी गुड बुक में शामिल थे। 

लेकिन अब, जब सीबीआई में छिड़ी जंग बड़ी और छीछालेदर कराने वाली हो गई है, मलिक ईडी या दिल्ली जोन में काम नहीं करना चाहते। वह अपनी पूर्व सेवा दिल्ली पुलिस में लौटना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि मलिक ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी 'जंग' के बीच अपने मूल सेवा में जाने के लिए आवेदन भी कर दिया है। उनके अनुरोध पर अभी विचार चल रहा है। 

विजिलेंस की मलिक पर रिपोर्ट

नरेश मलिक के खिलाफ लगे आरोप 2016 में सामने आए। तब वह समयपुर बादली के एसएचओ थे। यशोदा वर्मा नाम की एक महिला ने मलिक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। यशोदा की जमीन भूमाफियाओं ने कब्जा ली थी। आरोप है कि इसकी जांच में मलिक ने कोताही बरती। यशोदा की शिकायत पर विजिलेंस विभाग ने मलिक के खिलाफ जांच की और उन्हें दोषी पाया। 

विजिलेंस विभाग की ओर से एक पत्र डीसीपी आउटर दिल्ली को लिखा गया। इसमें मलिक के खिलाफ 'कड़ी' कार्रवाई करने की संस्तुति की गई थी। उस समय दिल्ली पुलिस के कमिश्नर आलोक वर्मा ने तत्कालीन स्पेशल सीपी अमूल्य पटनायक के रिमॉर्क को पहले तो 'मंजूर' कर लिया, लेकिन बाद में अपनी मंजूरी को वापस लेते हुए मलिक के खिलाफ आरोपों को हटा दिया। पटनायक इस समय दिल्ली पुलिस के कमिश्नर हैं। 

'माय नेशन' के पास विजिलेंस विभाग की यह रिपोर्ट मौजूद है। इसमें डीसीपी विजिलेंस ने अपनी अनुशंसा में कहा था, 'इंस्पेक्टर नरेश मलिक (एसएचओ समयपुर बादली), डिविजन ऑफिसर एएसआई जोगिंदर सिंह, बीट ऑफिसर हेड कांस्टेबल गिरिराज सिंह प्रसाद, कांस्टेबल रोहताश, कांस्टेबल अनिल कुमार, कांस्टेबल बलबीर सिंह, कांस्टेबल दिनेश कुमार और इमरजेंसी ऑफिसर हेड कांस्टेबल संजय त्यागी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।'

इसमें डीसीपी से कार्रवाई कर वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी के लिए 15 दिन में अनुपालन रिपोर्ट देने का अनुरोध किया गया था। लेकिन तत्कालीन सीपी दिल्ली ने एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। 

मलिक को विजिलेंस से हरी झंडी कैसे मिली

मलिक को केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर ईडी में आने के लिए विजिलेंस की हरी झंडी की आवश्यकता थी। इसके लिए मलिक ने दिल्ली के तत्कालीन कमिश्नर आलोक वर्मा से अनुरोध किया। उम्मीद के मुताबिक, आलोक वर्मा ने महज एक लाइन 'ड्रॉप डीई' (ड्रॉप डिपार्टमेंटल इनक्वाइरी) लिखकर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई खारिज कर दी। 

आलोक वर्मा की 'मदद' से अप्रैल 2017 में मलिक को ईडी में नियुक्ति मिल गई। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का दावा है कि मलिक को ईडी के लिए खुद आलोक वर्मा ने चुना था, क्योंकि वह ईडी में भी अपने किसी आदमी को बैठाना चाहते थे। 

मलिक के बारे में क्या कहना है पीड़ित का

पीड़ित यशोदा वर्मा के मुताबिक, दिल्ली पुलिस विभाग नरेश मलिक के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कार्रवाई को लेकर हुई प्रगति जानने के लिए एक आरटीआई भी लगाई लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस की ओर से उसका जवाब नहीं दिया गया है।  यशोदा की जमीन स्थानीय भूमाफिया ने कब्जा रखी थी। वह अब भी अदालत में इस केस को लड़ रही हैं। 

'माय नेशन' से बातचीत में उन्होंने कहा, 'नरेश मलिक ने खुलेआम आरोपी की मदद की। इस केस को रफा-दफा करने की कोशिश की। वह भूमाफियाओं के खिलाफ आसानी से कार्रवाई कर सकते थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। जमीन पर हुए कब्जे के चलते मैंने अपने पति को भी खो दिया। लेकिन दिल्ली पुलिस ने मलिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। यह हैरान करने वाला है कि वह प्रवर्तन निदेशालय के लिए काम कर रहे हैं।'

उधर, नरेश मलिक ने विजिलेंस की जांच पर ही सवाल खड़े किए हैं। आरोपों पर जवाब देते हुए नरेश मलिक ने 'माय नेशन' से कहा कि विजिलेंस की जांच टीम ने यशोदा वर्मा का पक्ष लिया। उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर जाकर स्थानीय लोगों का पक्ष जाना। इसका जिक्र विजिलेंस की रिपोर्ट में नहीं है। 

 

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