केन्द्र सरकार ने कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान राजस्व में आ रही गिरावट के कारण महंगाई भत्ते को रोक दिया है। केन्द्र सरकार ने मार्च में महंगाई भत्ते का ऐलान किया था। लेकिन अब केन्द्र सरकार ने बढ़े हुए महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी है। केन्द्र सरकार ने मार्च में महंगाई भत्ते को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर दिया था।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों का पांच फीसदी मंहगाई भत्ता रोक दिया है। केन्द्र सरकार ने 13 मार्च को कैबिनेट की बैठक में इस पांच फीसदी भत्ते का ऐलान किया था। हालांकि केन्द्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में किसी भी तरह की कटौती नहीं की है। इस पांच फीसदी मंहगाई भत्ते से केन्द्र सरकार को 14,510 करोड़ रुपये घाटा रहा था। ये महंगाई भत्ता एक जनवरी से लागू था और इसे एरियर के साथ भुगतान किया जाना था।
केन्द्र सरकार ने कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान राजस्व में आ रही गिरावट के कारण महंगाई भत्ते को रोक दिया है। केन्द्र सरकार ने मार्च में महंगाई भत्ते का ऐलान किया था। लेकिन अब केन्द्र सरकार ने बढ़े हुए महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी है। केन्द्र सरकार ने मार्च में महंगाई भत्ते को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर दिया था।
केंद्र सरकार के नए नियम के मुताबिक कर्मचारियों और पेंशनधारियों को अब 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से मिलने वाला महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा। यही नहीं इसके साथ दिए जाने वाला एरियर भी नहीं दिया जाएगा। फिलहाल देश में चल रहे कोरोना संकट को देखते हुए इसे रोक दिया गया है। केंद्र के इस कदम से लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी प्रभावित होंगे।
जानकारी के मुताबिक पांच फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने से केन्द्र सरकार को अतिरिक्त 14,510 करोड़ रुपये का खर्च कर पड़ रहे थे। देश कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने के लिए 40 दिनों का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन चल रहा है और के्द्र सरकार को अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियों की ठप होने के कारण नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में अधिकांश विभागों के बजट आवंटन में 40 प्रतिशत तक की कटौती की है।
यही नहीं केन्द्र सरकार ने सांसद और मंत्रियों के वेतन में भी कटौती की है। ये कटौती तीस फीसदी की गई है। वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से वेतन कटौती का फैसला किया है।