चुनाव आयोग ने ममता को दिया झटका, पुलिस नहीं केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर होगा मतदान केन्द्रों का जिम्मा

Published : Apr 21, 2019, 12:55 PM IST
चुनाव आयोग ने ममता को दिया झटका, पुलिस नहीं केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर होगा मतदान केन्द्रों का जिम्मा

सार

राज्य में पहले और दूसरे चरण में जबरदस्त मतदान हुआ है। लेकिन चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी नायक ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट भेजकर कहा कि राज्य में चुनाव में हालत काफी खराब हैं और राज्य में के मौजूदा हालात 15 साल पहले के बिहार जैसे हैं। मतदाताओं को स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है। नायक बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रह चुके हैं। 

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक बड़ा झटका दिया है। चुनाव आयोग ने अब फैसला लिया है कि राज्य में तीसरे दौर के मतदान में मतदान केन्द्रों में 92 फीसदी सुरक्षा का जिम्मा केन्द्रीय सुरक्षा बलों का होगा, जबकि अभी तक राज्य की पुलिस इन केन्द्रों का जिम्मा संभालती थी। राज्य में अभी पांच चरण के मतदान बचे हैं।

राज्य में पहले और दूसरे चरण में जबरदस्त मतदान हुआ है। लेकिन चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी नायक ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट भेजकर कहा कि राज्य में चुनाव में हालत काफी खराब हैं और राज्य में के मौजूदा हालात 15 साल पहले के बिहार जैसे हैं। मतदाताओं को स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है। नायक बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रह चुके हैं। नायक का बयान काफी अहम माना जा रहा है। लेकिन अब नायक की मांग को देखते हुए सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की उनकी मांग बढ़ गई है।

नायक को हाल ही में पश्चिम बंगाल में अंतिम पांच चरणों के चुनाव की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नायक ने ये बयान राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब की मौजूदगी में दिया। नायक ने बताया कि अब तीसरे चरण के मतदान के दौरान केंद्रीय बलों की 324 कंपनियों को पांच लोकसभा क्षेत्रों के 92 फीसदी से ज्यादा मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा। गौरतलब है कि 23 अप्रैल को राज्य की बलूरघाट, मालदा उत्तरी, मालदा दक्षिणी, जांगीपुर और मुर्शिदाबाद लोकसभा सीटों पर मतदान होना है इसके लिए आज चुनाव प्रचार रूक जाएगा।

हालांकि चुनाव आयोग ने इसी बीच मालदा के पुलिस अधीक्षक अर्णब घोष को हटाकर अजय प्रसाद को इस पद पर नियुक्त किया है। कुछ दिनों पहले प्रदेश बीजेपी ने चुनाव आयोग से घोष को पद से हटाने की मांग की थी। बीजेपी का आरोप था कि घोष राज्य सरकार के करीबी हैं और उसके दबाव में काम कर रहे हैं।

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