राफेल पुनर्विचार मामला: सरकार का हलफ़नामा, कहा सही है 2018 का फैसला

By Gopal KFirst Published May 4, 2019, 12:24 PM IST
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पुनर्विचार याचिका खारिज होनी चाहिए- सरकार

खरीद प्रक्रिया की समीक्षा "देश में वर्तमान सुरक्षा वातावरण में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है और पड़ोसी देशों में अच्छी तरह से जानी जा सकती है।

सरकार ने कैग की रिपोर्ट को भी भरोसा करने का आधार बताया। असंतुष्ट मीडिया रिपोर्टों के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा पर संप्रभु निर्णयों पर सवाल नहीं उठा सकते:- केंद्र सरकार

राफेल पुनर्विचार मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने अपना नया हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। सरकार ने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज होनी चाहिए।

केन्द्र सरकार के मुताबिक खरीद प्रक्रिया की समीक्षा देश के वर्तमान सुरक्षा वातावरण में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है और पड़ोसी देशों में अच्छी तरह से जानी जा सकती है। सरकार ने कैग की रिपोर्ट को भी भरोसा करने का आधार बताया है।

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि असंतुष्ट मीडिया रिपोर्टों के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा पर संप्रभु निर्णयों पर सवाल नहीं उठा सकते। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश के के वेणुगोपाल ने जवाब दाखिल करने के लिए 4 हप्ते का समय मांगा था।

इससे पहले 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे से संबंधित कुछ नए दस्तावेजो को आधार बनाये जाने पर केंद्र सरकार की प्रारंभिक आपत्तियों को ठुकरा दिया था। इन दस्तावेजों पर केंद्र सरकार ने विशेषाधिकार का दावा किया था।

केंद्र सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किए और 14 दिसंबर, 2018 के फैसले को चुनौती देने के लिए इसका प्रयोग किया गया।

इस फैसले में कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल विमान सौदे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओ को खारिज कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और के एम जोसेफ की पीठ ने कहा था कि हम केंद्र सरकार द्वारा समीक्षा याचिका की स्वीकार्यता पर उठाई प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज करते है।

केन्द्र सरकार ने कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा कि राफेल डील पुनर्विचार याचिका के जरिए सौदे की चलती- फिरती जांच की कोशिश की गई। मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला। ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते हैं।
    

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