आर्थिक संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को केन्द्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। केन्द्र सरकार एथनॉल पर चीनी मिलों को पैकेज देकर उन्हें हो रहे घाटे को कम करने के पैकेज की घोषणा कर सकती है।
आर्थिक संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को केन्द्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। केन्द्र सरकार एथनॉल पर चीनी मिलों को पैकेज देकर उन्हें हो रहे घाटे को कम करने के पैकेज की घोषणा कर सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार करीब 12 हजार करोड़ तक का पैकेज चीनी उद्योग को देगी। हालांकि चीनी पर ये शर्त होगी कि वह एथनॉल का उत्पादन बढ़ाए।
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार चीनी मिलों के साथ ही गन्ना किसानों को बड़ी राहत दे सकती है। चीनी मिलों को आर्थिक मदद मिल जाने के बाद किसानों को गन्ने का भुगतान करना आसान होगा। वर्तमान में देश की ज्यादातर चीनी मिलों को किसानों को गन्ने का भुगतान करना है। लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहे चीनी मिलों के पैसा न होने के कारण दिक्कतें ज्यादा हो रही हैं। इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी चीनी मिलों को सरकार ने राहत प्रदान की थी। लेकिन ये जरूरत से कम है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गन्ना किसान एक बड़ा वोट बैंक माने जाते हैं। किसानों की नाराजगी के कारण राज्य कई अधिकांश विधानसभा सीटें और लोकसभा की सीटें प्रभावित होती हैं।
अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गन्ना राजनीति से प्रभावित होने वाली सीटों पर नजर डालें तो यहां पर 50 से ज्यादा सीटें सीधे तौर पर गन्ना किसानों के वोट के जरिए प्रभावित होती हैं। उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर,अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आजमगढ़, बरेली, सीतापुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फैजाबाद, बलिया, जौनपुर लोकसभा सीट, तो महाराष्ट्र की सोलापुर,सांगली,पुणे,कोल्हापुर, नासिक,सतारा,अहमदनगर,धुले, नंदूरबार, जलगांव, औरंगाबाद, बीड़, परभणी, हिंगोली,नांदेण, उस्मानाबाद, लातूर, बुलढाणा, जालना, यवतमाल, अकोला, अमरावती, वर्धा, नागपुर सीधे तौर पर गन्ना किसान राजनैतिक दलों का भविष्य तय करते हैं।
बहरहाल इन राज्यों में राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्याओं किसानों का गन्ना बकाया है। अभी तक कई चीनी मिलें किसानों को पिछले साल का बकाया नहीं दे पायी हैं। उद्योग जगत का मानना है कि इस सीजन के अंत तक गन्ना बकाया करीब 40 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर, 2018 तक चीनी मिलों पर 19,000 करोड़ रुपये का था जो पिछले सीजन की तुलना में दोगुना हो गया है। हालांकि कुछ महीनें पहले केन्द्र की मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने के लिए 8,500 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था।
ऐसा कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार चीनी मिलों को अगले पांच साल तक के लिए 6 फीसदी की दर पर ऋण मुहैया करा सकती है। इसके साथ ही मिलों में एथेनॉल की क्षमता को बढ़ाने के लिए यह पैकेज दिया जाएगा। केन्द्र सरकार एथनॉल को पेट्रोल का विकल्प बनाने की दिशा में काम कर रही है। वर्तमान चीनी सत्र में किसानों का बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है और सरकार चाहती है कि गन्ना बकाया की रकम आने वाले चुनावों के दौरान मुद्दा नहीं बने।