पुलवामा हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का बयान चीन के चलते लेट हुआ

पाकिस्तान की भी भद पिटी, कोई बयान जारी न हो सके इसकी कोशिश में लगा था पाकिस्तान। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से भी मुलाकात की लेकिन मुंह की खानी पड़ी।

China's opposition to mentioning of terrorism held back UNSC statement on Pulwama for one week

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ चीन के विरोध के चलते पुलवामा आतंकी हमले के संबंध में बयान जारी करने में लगभग एक सप्ताह की देरी हुई। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। चीन आतंकवाद के किसी भी उल्लेख का विरोध कर रहा था। 

सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा परिषद के फैसले की औपचारिक ड्राफ्टिंग प्रक्रिया शुरू करने या उसकी अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी निभाने वाले की हैसियत से अमेरिका ने परिषद के अन्य सभी सदस्यों का अनुमोदन हासिल करने के लिए विभिन्न समायोजन करते हुए पूरा प्रयास किया।

चीन पुलवामा पर 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के बयान की विषय वस्तु को कमजोर करना चाहता था वहीं पाकिस्तान ने प्रयास किया कि कोई बयान जारी नहीं हो। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से भी मुलाकात की लेकिन उनके प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला।

बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के 14 फरवरी के 'जघन्य और कायरतापूर्ण' आतंकवादी हमले की तीखी निंदा की।

इस मामले पर कूटनीतिक तकरार का विवरण देते हुए सूत्रों ने कहा कि पुलवामा पर सुरक्षा परिषद का बयान 15 फरवरी की शाम को जारी किया जाना था लेकिन चीन ने बार-बार समय बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि चीन ने 18 फरवरी तक विस्तार का अनुरोध किया जबकि शेष 14 सदस्य देश 15 फरवरी को ही इसे जारी करने के लिए तैयार थे। उन्होंने कहा कि चीन ने कई संशोधनों का सुझाव दिया ताकि प्रयास को ‘पटरी से उतारा’ जा सके।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस मुद्दे पर हुयी कूटनीतिक चर्चा से वाकिफ एक व्यक्ति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पुलवामा हमले की 'आतंकवाद' के रूप में निंदा किए जाने के बाद भी चीन ने बयान में आतंकवाद के किसी भी उल्लेख का विरोध जारी रखा। 

चीनी और पाकिस्तानी प्रयासों के बावजूद, सुरक्षा परिषद ने जम्मू कश्मीर में भारतीय जवानों पर हमले के संबंध में अपने इतिहास में पहला बयान जारी करने पर सहमति व्यक्त की। भारत ने आतंकी समूहों और सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को अलग-थलग करने की खातिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में राजनयिक प्रयास तेज कर रखा है।

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