फ्रांस में हुई बैठक में जी-7 देशों के सभी नेताओं ने चीन को बड़ा झटका देते हुए हांगकांग की स्वायत्तता का समर्थन किया गया। सदस्य देशों का कहना है कि जो ब्रिटेन और चीन के बीच 1984 में हुए एक समझौते में तय हुआ था। उसी आधार पर हांगकांग का स्वायत्तता बरकरार रहनी चाहिए। इसमें किसी भी तरह का छिड़छाड़ चीन को नहीं करनी चाहिए।
नई दिल्ली। कश्मीर के मामले में पाकिस्तान का साथ देने वाले चीन को हांगकांग के मामले में जी-7 की बैठक में बड़ा झटका लगा है। सदस्य देशों ने हांगकांग की स्वायत्तता का समर्थन किया है। फ्रांस में हुई बैठक में जी-7 देशों के सभी नेताओं ने चीन को बड़ा झटका देते हुए हांगकांग की स्वायत्तता का समर्थन किया गया।
सदस्य देशों का कहना है कि जो ब्रिटेन और चीन के बीच 1984 में हुए एक समझौते में तय हुआ था। उसी आधार पर हांगकांग का स्वायत्तता बरकरार रहनी चाहिए। इसमें किसी भी तरह का छिड़छाड़ चीन को नहीं करनी चाहिए। वहीं सदस्य देशों ने हांगकांग में शांति की अपील की गई जहां लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। फिलहाल ये चीन के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि चीन वहां पर प्रदर्शनकारियों पर दबाने का प्रयास कर रहा है। चीन की सेना हांगकांग में पहुंच गई है और वह प्रदर्शन का दमन ताकत के बल से करना चाहता है।
पिछले दिनों कश्मीर के मुद्दे पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया था और चीन इस मामले को पिछले दरवाजे से यूएन में भी ले गया था। जहां पाकिस्तान और चीन दोनों को हार का सामना करना पड़ा। अब वही चीन हांगकांग के मामले दोहरी नीति अपना रहा है। चीन ने हांगकांग में प्रदर्शनकारियों आंसू गैस के गोले छोड़े और एक 12 साल के बच्चे समेत 36 गिरफ्तार किया है।
हांगकांग में चीनी सरकार द्वारा प्रत्यर्पण विधेयक को पारित कराने के प्रयास के विरोध में पिछले दो महीने से प्रदर्शन जारी हैं। विधेयक के विरोधी इसे हांगकांग की स्वायत्तता में एक बड़ी सेंध मान रहे हैं।
असल में फ्रांस के बिआरित्ज शहर में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन पर जारी एक संयुक्त बयान जारी किया गया।
ये बयान खासतौर से हांगकांग को लेकर जारी किया गया जो चीन के लिए बड़ा झटका है। इस बयान में कहा कि जी-7 हांगकांग पर 1984 के चीन-ब्रिटेन समझौते के अस्तित्व और महत्व की पुष्टि करता है और हिंसा से बचने का आह्वान करता है।