रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए कोस्ट गार्ड ने बंगाल की खाड़ी में उतारा पोत

By Ajit K Dubey  |  First Published Sep 14, 2018, 3:44 PM IST

खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई है कि रोहिंग्या मुसलमान समुद्री मार्ग से भारत में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे खतरों से निपटने के लिए भारतीय कोस्ट गार्ड जैसी महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा एजेंसी अलर्ट पर है। कोस्ट गार्ड ने नए पोत आईसीजीएस विजयको इसके लिए बंगाल की खाड़ी में उतार दिया है। 

म्यांमार छोड़कर भागे रोहिंग्या मुसलमानों के समुद्री मार्ग से भारत में घुसने के लगातार मिलते इनपुट के बीच भारतीय कोस्ट गार्ड ने पूर्वी तट पर अपनी क्षमता बढ़ानी शुरू कर दी है। बंगाल की खाड़ी से सटे बंगाल और ओडिशा में घुसपैठ की किसी भी गतिविधि को नाकाम बनाने के लिए कोस्ट गार्ड पूरी सतर्कता बरत रहा है। इसी कड़ी में कोस्ट गार्ड ने अपने अत्याधुनिक 'युद्धपोत' आईसीजीएस विजय को बंगाल की खाड़ी में तैनात कर दिया है। तमाम खूबियों वाला यह पोत मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। एक बार में 5000 नॉटिकल मील की दूरी तय करने वाले 98 मीटर लंबा यह पोत रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों पर समुद्र में कड़ी नजर रखेगा। यह पोत कई हथियारों से भी लैस है।
 
भारत-म्यांमार और भारत-बांग्लादेश की जमीनी सीमा पर कड़े सुरक्षा उपायों के चलते घुसपैठ करना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई है कि रोहिंग्या मुसलमान और दूसरे देश विरोधी तत्व समुद्री मार्ग से भारत में घुसने की कोशिश कर सकते हैं। इस तरह के खतरों से निपटने के लिए कोस्ट गार्ड जैसी महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा एजेंसी अलर्ट पर हैं।
 
ओडिशा और बंगाल के समुद्री क्षेत्र से सटे पूर्वी छोर पर अपनी निगरानी क्षमता को मजबूती देने के लिए कोस्ट गार्ड ने शुक्रवार को आईसीजीएस विजय को अपने बेड़े में शामिल किया है। पोत को कमीशन करने की प्रक्रिया चेन्नई में पूरी की गई। इस पोत को ओडिशा के पारादीप में तैनात किया जाएगा।
 
मेक इन इंडिया के तहत इस पोत का निर्माण निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने किया है। रक्षा सचिव संजय मित्रा ने चेन्नई तट पर कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेंद्र सिंह की मौजूदगी में इसे बल में शामिल किया।
 
जब आईसीजीएस विजया के कमांडिंग अधिकारी कमांडेंट एचजे सिंह से 'माय नेशन' पूछा कि यह पोत कैसे रोहिंग्या घुसपैठ को रोकने में मददगार होगा तो उन्होंने बताया, यह पोत तटरक्षक बल के अन्य उपकरणों के साथ-साथ सेंसर तकनीक से लैस है। इसमें लगे उपकरणों से देश विरोधी तत्वों के भारत में घुसने के किसी भी प्रयास को नाकाम किया जा सकता है।

म्यांमार में वर्ष 2012 में स्थानीय बौद्ध समुदाय से झड़पें शुरू होने के बाद रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार छोड़ना शुरू किया। इसके चलते बड़े पैमाने पर हुए पलायन से भारत भी प्रभावित हुआ है। बड़ी संख्या में रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में घुसकर असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहने लगे हैं।

हाल ही में जम्मू में सुजवां सैन्य छावनी पर हमला करने के लिए आतंकवादियों ने रोहिंग्या बस्ती का इस्तेमाल किया। ये लोग उस इलाके में कुछ समय से रह रहे थे और उन्होंने वहां अपनी पूरी कालोनी बसा ली है। 

आईसीजीएस विजया ऐसा दूसरा पोत है जिसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो द्वारा मेक इन इंडिया योजना के तहत किया गया है। यह 30 एमएम की तोप से लैस है, जो दो किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगा सकती है। 

कोस्ट गार्ड के लिए लार्सन एंड टुब्रो द्वारा चार ऐसे पोतों का निर्माण किया जा रहा है। ये पोत अगले कुछ वर्षों में बल में शामिल कर लिए जाएंगे। 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद कोस्ट गार्ड ने समुद्री सुरक्षा को लेकर अपनी भूमिका में काफी विस्तार किया है। इसके लिए बल में कई नए हथियारों एंव उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। इनमें हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट भी शामिल हैं। 

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