अफगानिस्तान से अवैध हथियार लाने की कोशिश करने वाले कर्नल पर कार्रवाई

First Published Jul 14, 2018, 4:44 PM IST
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काबुल में भारतीय दूतावास में उपरक्षा अताशे के तौर पर थी तैनाती। आरोपी कर्नल के पास से एयरपोर्ट पर दो पिस्टल हुई थी बरामद। आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में हुई थी शुरुआती जांच
 

सेना ने अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास में तैनात अपने एक कर्नल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की है। काबुल में इस कर्नल के पास से अवैध हथियार बरामद होने के बाद उसे वापस बुला लिया गया था। आरोपी कर्नल भारतीय दूतावास में उपरक्षा अताशे के तौर पर तैनात था। एक आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में हुई शुरुआती जांच में पाया गया कि कर्नल के पास से बरामद हथियार दूतावास की सुरक्षा में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों में से नहीं थे।  

काबुल से इस अधिकारी को वापस बुलाए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लिया। इसके बाद सेना ने गत वर्ष मई में आरोपी कर्नल के खिलाफ कोर्ट ऑफ इनक्वाइरी शुरू की थी। सेना के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'कोर्ट ऑफ इनक्वाइरी के बाद अब इस कर्नल को अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। उनका कोर्ट मार्शल भी हो सकता है। अभी तक इस अधिकारी को निगरानी में रखा गया था।'

एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में हुई जांच के दौरान सेना के विभिन्न अधिकारियों और कर्मियों के अलावा विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। 

भारतीय दूतावास में उपरक्षा अताशे के तौर पर तैनात आरोपी कर्नल के पास से दो पिस्टल मिली थीं। उधर, एक आईपीएस अधिकारी द्वारा की गई शुरुआती जांच में पाया गया कि कर्नल के पास मिलीं पिस्टल उन हथियारों का हिस्सा नहीं थीं, जो काबुल स्थित भारतीय दूतावास में अधिकारियों के पास होते हैं। भारतीय दूतावास को कई बार पाकिस्तान  समर्थित हक्कानी नेटवर्क के आतंकी निशाना बना चुके हैं। 

सूत्रों के अनुसार, यह मामला तब प्रकाश में आया जब स्थानीय एजेंसियों ने काबुल एयरपोर्ट पर कर्नल के सामान से दो पिस्टल बरामद कीं। तब वह भारत लौट रहे थे। जब इस मामले को भारतीय अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया तो तत्काल घटना की जांच के आदेश दिए गए। हालांकि वे पहले तथ्यों की पुष्टि करना चाहते थे, क्योंकि अफगानिस्तान को भारत का सामरिक सहयोगी माना जाता है। 

सूत्रों ने कहा कि विदेश सचिव के कार्यालय से भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया गया था। 

कर्नल ने मामले की जांच के दौरान बताया था कि उसने अगस्त 2016 में भारत लौटते समय निजी सुरक्षा के लिए इन हथियारों को अपने सामान में रखा था। 

विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच में हुई प्रगति से एक-दूसरे से अवगत कराया है। (नई दिल्ली से अजीत दुबे की रिपोर्ट)
 

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