फिलहाल राज्य में कांग्रेस और माकपा के गठबंधन बन जाने के बाद भाजपा खुश है क्योंकि राज्य में टीएमसी को दो मोर्चों पर चुनाव लड़ना होगा। हालांकि राज्य में अभी की माकपा का वोट बैंक है। लेकिन नेतृत्व की कमी के कारण वो या तो घर में बैठा है या फिर भाजपा की तरफ जा रहा है। लेकिन कांग्रेस की स्थिति राज्य में ज्यादा अच्छी नहीं है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की समस्त विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम को झटका लगा है। राज्य में तीन सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस और माकपा ने हाथ मिलाया है। जिससे भाजपा के खिलाफ विपक्ष महागठबंधन की कोशिशों को झटका लगा है। राज्य में हालांकि कांग्रेस और माकपा के बीच लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन नहीं हो सका था। जिसका खामियाजा दोनों पार्टियों को भुगतना पड़ा था।
फिलहाल राज्य में कांग्रेस और माकपा के गठबंधन बन जाने के बाद भाजपा खुश है क्योंकि राज्य में टीएमसी को दो मोर्चों पर चुनाव लड़ना होगा। हालांकि राज्य में अभी की माकपा का वोट बैंक है। लेकिन नेतृत्व की कमी के कारण वो या तो घर में बैठा है या फिर भाजपा की तरफ जा रहा है।
लेकिन कांग्रेस की स्थिति राज्य में ज्यादा अच्छी नहीं है। फिलहाल राज्य की तीन विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा व तृणमूल कांग्रेस की बढ़त रोकने के लिए कांग्रेस और माकपा ने आपस में हाथ मिलाया है। एक अहम बैठक के बाद दोनों दलों के नेताओं ने इसके लिए फैसला किया है और कांग्रेस आलाकमान ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई है।
तीन सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्र ने कहा कि कांग्रेस उत्तर दिनाजपुर जिले की कालियागंज सीट के अलावा पश्चिम मेदिनीपुर की खड़गपुर सीट पर चुनाव लड़ेगी जबकि माकपा नदिया जिले के करीमपुर सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में एक मोर्चे की शुरूआत है भविष्य में दोनों दलों के बीच गठबंधन राज्य की टीएमसी सरकार के खिलाफ बना रहेगा। गौरतलब है कि राज्य में लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी को मिली करारी हार के बाद वह विपक्षी दलों का एक मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही हैं। जो पूरे तरह से भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़े।